भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शब्दों के किनारे-किनारे / अभि सुवेदी / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अभि सुवेदी |अनुवादक=सुमन पोखरेल |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:17, 2 सितम्बर 2024 के समय का अवतरण
रात को
कितने आँसू बह गए,
जान न पाया ।
सुबह,
नदी की सिसकियाँ सुनने के बाद,
बहते हुए मन को बाहर निकालने के लिए
शब्दों के किनारे-किनारे दौड़ता रहा मैं ।
०००