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"बुद्ध की मौत / विवश पोखरेल / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर

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दूर हूँ, बहुत दूर
 
दूर हूँ, बहुत दूर
ख्वाहिस कर के भी नहीं छू सकता
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इच्छा करने पर भी नहीं छू सकता
मैं इम्कानात के उफ्क को ।
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मैं संभावनाओं के क्षितिज को।
पार कर नहीं सकता
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पार नहीं कर सकता
जिन्दगी के मुस्किल पुलों को ।
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ज़िंदगी के कठिन पुलों को।
  
दब गया हूँ  
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दब गया हूँ
गुम्बद-ए-मातम के निचे।
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शोक के गुम्बद के नीचे।
अँधियारा गया है लुम्बिनी ।
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अंधेरा छा गया है लुम्बिनी।
आँखो में  
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आँखों में
सिर्फ ख्वाबेँ तैर रहे हैँ अमन के ।
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सिर्फ़ सपने तैर रहे हैं शांति के।
 
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जिस लम्हा तुम ने
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इमान को दफना दी
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बेइमानी के कब्रस्तान पर,
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उसी लम्हा हो गयी है मौत
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मेरे बुद्ध की । 
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जिस पल तुमने
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ईमानदारी को दफ़ना दिया
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बेमानी के कब्रिस्तान में,
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उसी पल हो गई है मौत
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मेरे बुद्ध की।
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०००
 
 
  
 
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18:22, 2 सितम्बर 2024 के समय का अवतरण

दूर हूँ, बहुत दूर
इच्छा करने पर भी नहीं छू सकता
मैं संभावनाओं के क्षितिज को।
पार नहीं कर सकता
ज़िंदगी के कठिन पुलों को।

दब गया हूँ
शोक के गुम्बद के नीचे।
अंधेरा छा गया है लुम्बिनी।
आँखों में
सिर्फ़ सपने तैर रहे हैं शांति के।

जिस पल तुमने
ईमानदारी को दफ़ना दिया
बेमानी के कब्रिस्तान में,
उसी पल हो गई है मौत
मेरे बुद्ध की।
०००