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''पिता रक्षति कौमारे भर्ता रक्षति यौवने । '' ''रक्षन्ति स्थविरे पुत्रा न स्त्री स्वातन्त्र्यमर्हति ॥ '' - मनुस्मृति
यो मनुको देशमा जन्मेकी
ए मातापिता !
''विशीलः कामवृत्तो वा गुणैर्वा परिवर्जित: '' ''उपचर्यः स्त्रीया साध्व्य सततं देवत्पतिः ।। '' - मनुस्मृति
म मनुको देशमा बनेकी
ए मेरो स्वार्थी शासक !
''यादृशं भजते हि स्त्री सुतं सुते तथाविधम् । '' ''तस्मात्प्रजाविशुद्धवर्थ स्त्रीयं रक्षेत्प्रयत्नतः ॥ '' - मनुस्मृति
म मनुको देशमा भएकी माता
मलाई त
मेरो युगले नै ठगेको थियो ।
०००
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[[एक बेटी की कहानी / कुन्दन शर्मा / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
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