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"मन की आवाज / विश्राम राठोड़" के अवतरणों में अंतर

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20:58, 19 सितम्बर 2024 के समय का अवतरण

आसमानों में नहीं ज़मीं पर भी उतर के देखो
यहाँ रहमा गुजरता है यहाँ मर के नहीं जी के देखो
हर मुस्कराहट की भी एक वजह होती है
जहर कितना भी ज़हर हो एक सज़ा ही होती है
बेपरवाह मौत ज़िन्दगी ताल्लुक़ क्या
एक बार जो पल मिला है उसे तो जी देखो
तुम मेरे दिल में उतर नहीं सकते, दिल से उतार के देखो
तुम मेरे से बात करना अच्छा नहीं लगता
एक तुम एक बार मेरी आवाज़ बनके देखो