भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बस राति बचत / दीपा मिश्रा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपा मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:44, 19 अक्टूबर 2024 के समय का अवतरण
जे आइ प्रसिद्ध छथि
ओ बिसरा देल जेतैथ
जे जागल छथि ओ
चिर निद्रामे सुति रहतैथ
पुरान रस्ता सब पर उगि आओत
पाकड़िक बड़का बड़का गाछ
सबटा मार्ग बन्द भ' जाएत
नदी जे एहन तांडव देखा रहल
सुखाके दूर अकाशमे बिला जाएत
चन्द्रमा टूटि के खसत आ छहोछित भ'
छाउर बनि माटिमे मिलि जाएत
चिड़इ चुनमुनी मात्र कथामे बसत
आ फूलक सुगंधि मात्र स्मृतिमे
डोंगीकेँ उनटा क'
ओहिपर बैसल एकटा नेना
पुरना खुरचनकेँ हाथमे लेने
उनटा पुनटाके देखैत थाकि हारिकेँ
तपैत बालू पर सुतिकेँ
ओहि समुद्रक स्वप्न देखत
जकरा द' ओ कहिओ खिस्सामे सुनने छल।