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06:53, 29 अक्टूबर 2024 के समय का अवतरण

जब हम कहते हैं
‘शान्ति’
मुझे दिखतीं हैं
खून से लथपथ लाशें

जब कोई कहता है
‘शान्ति’
मुझे दिखाई पड़ते हैं
गहरी रातों में
धधकते गोलों वाले मंज़र ।

क्या नहीं देखा और सराहा उन्होंने इसे
क्रिसमस की पूर्वसंध्या पर की जाने वाली आतिशबाजी की तरह ?

जब कोई कहता है शब्द
‘शान्ति’
मुझे याद आते हैं
हमले और शोषण ।

‘शान्ति’ शब्द में
मुझे दिखता है तेल ।

‘शान्ति’
पर्याय हो चुकी है मेरे लिए मध्य एशिया में स्थित अमरीकी एयरबेस का।

हमें तलाशना होगा कोई दूसरा शब्द,
जो नहीं है लम्बे समय से प्रचलन में
या फिर
गढ़ना होगा एक नया शब्द
जिसका कोई नहीं करता प्रयोग ।

शायद यह शब्द हो सकता है,
संस्कृत जैसी लगभग मृत हो चुकी भाषा का शब्द ‘‘शान्ति’
या मलय भाषा का शब्द ‘किटा’
एक शान्त-सुकून पैदा करने वाली शान्ति,
जो सही मायने में होगी
हम सब के लिए शान्ति

मूल कोरियाई भाषा से अनुवाद : कुमारी रोहिणी