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"हिम की मार / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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आँधी उमड़ी | आँधी उमड़ी | ||
गरीब का छप्पर | गरीब का छप्पर | ||
दूर ले उड़ी । | दूर ले उड़ी । | ||
− | + | 64 | |
तेरा मिलना | तेरा मिलना | ||
सूखे पतझर में | सूखे पतझर में | ||
फूल खिलना। | फूल खिलना। | ||
− | + | 65 | |
कंटक -पथ | कंटक -पथ | ||
साथ नहीं सारथी | साथ नहीं सारथी | ||
चलना ही है। | चलना ही है। | ||
− | + | 66 | |
सदा वन्दन | सदा वन्दन | ||
तुमसे है ज्योतित | तुमसे है ज्योतित | ||
मेरा जीवन! | मेरा जीवन! | ||
− | + | 67 | |
हिम की मार | हिम की मार | ||
कोंपल है गुलाबी | कोंपल है गुलाबी | ||
झेल प्रहार। | झेल प्रहार। | ||
− | + | 68 | |
ये हरी दूब | ये हरी दूब | ||
शीत को ओढ़कर | शीत को ओढ़कर | ||
खुश है खूब। | खुश है खूब। | ||
− | + | 69 | |
धूप से डरा | धूप से डरा | ||
हिम को भी छूटा है | हिम को भी छूटा है | ||
आज पसीना | आज पसीना | ||
− | + | 70 | |
प्राण मिलते | प्राण मिलते | ||
तुम हो संजीवनी | तुम हो संजीवनी | ||
शब्द- ऋचा से। | शब्द- ऋचा से। | ||
− | + | 71 | |
उजली भोर | उजली भोर | ||
बिखर गई रुई | बिखर गई रुई | ||
− | चारों ही और। | + | चारों ही और। |
− | + | 72 | |
तू मेरा हीरा | तू मेरा हीरा | ||
शब्दब्रह्माणि मेरी | शब्दब्रह्माणि मेरी | ||
संजीवनी तू!! | संजीवनी तू!! | ||
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19:41, 10 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण
63
आँधी उमड़ी
गरीब का छप्पर
दूर ले उड़ी ।
64
तेरा मिलना
सूखे पतझर में
फूल खिलना।
65
कंटक -पथ
साथ नहीं सारथी
चलना ही है।
66
सदा वन्दन
तुमसे है ज्योतित
मेरा जीवन!
67
हिम की मार
कोंपल है गुलाबी
झेल प्रहार।
68
ये हरी दूब
शीत को ओढ़कर
खुश है खूब।
69
धूप से डरा
हिम को भी छूटा है
आज पसीना
70
प्राण मिलते
तुम हो संजीवनी
शब्द- ऋचा से।
71
उजली भोर
बिखर गई रुई
चारों ही और।
72
तू मेरा हीरा
शब्दब्रह्माणि मेरी
संजीवनी तू!!