"ऐसा तो नहीं / ईगर सिविरयानिन / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईगर सिविरयानिन |अनुवादक=अनिल जनव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | ऐसा तो नहीं | ||
+ | कहीं इसलिए तो तुम नहीं चली गई थीं | ||
+ | ताकि मेरी अन्तिम विदाई में तुम्हें आना न पड़े ? | ||
+ | मेरे इस सवाल का जवाब कौन देगा ? | ||
+ | सिर्फ़ तुम ही दे सकती थीं | ||
+ | लेकिन तुम तो बेहद नाराज़ हो ...। | ||
+ | और अगर ऐसा नहीं है ? | ||
+ | कितनी उदासी है मेरे चारों ओर ... | ||
+ | संगमरमर की तरह सफ़ेद और सख़्त है दुख | ||
+ | कितना गहरा, पवित्र और प्रेरक ! | ||
+ | चलो छोड़ो इसे, छोड़ें ये बात | ||
+ | हमारे बीच की ज़मीन टूट चुकी है — | ||
+ | अब उसके टुकड़े भी क़ीमती हैं ...। | ||
+ | |||
+ | कितनी उदासी फैली हुई है ! | ||
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय''' | '''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय''' |
13:16, 12 नवम्बर 2024 का अवतरण
ऐसा तो नहीं
कहीं इसलिए तो तुम नहीं चली गई थीं
ताकि मेरी अन्तिम विदाई में तुम्हें आना न पड़े ?
मेरे इस सवाल का जवाब कौन देगा ?
सिर्फ़ तुम ही दे सकती थीं
लेकिन तुम तो बेहद नाराज़ हो ...।
और अगर ऐसा नहीं है ?
कितनी उदासी है मेरे चारों ओर ...
संगमरमर की तरह सफ़ेद और सख़्त है दुख
कितना गहरा, पवित्र और प्रेरक !
चलो छोड़ो इसे, छोड़ें ये बात
हमारे बीच की ज़मीन टूट चुकी है —
अब उसके टुकड़े भी क़ीमती हैं ...।
कितनी उदासी फैली हुई है !
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Игорь Северянин
А если нет
А если нет?.. А если ты ушла,
Чтоб не прийти ко мне на панихиды?
Кто даст ответ?
Одна лишь ты могла,
Но ты полна обиды…
А если нет?
Какая грусть… Как мраморна печаль…
Как высока, свята и вдохновенна!
Но пусть, но пусть.
Разбитая скрижаль —
Осколком драгоценна…
Какая грусть!