भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कलयुग / सुशांत सुप्रिय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशांत सुप्रिय |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:30, 21 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण

एक बार
एक काँटे के
शरीर में चुभ गया
एक नुकीला आदमी

काँटा दर्द से
कराह उठा

बड़ी मुश्किल से
उसने आदमी को
अपने शरीर से
बाहर निकाल कर फेंका

तब जा कर काँटे ने
राहत की साँस ली