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"एक सजल संवेदना-सी / सुशांत सुप्रिय" के अवतरणों में अंतर

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18:30, 21 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण

उसे आँखों से
कम सूझता है अब
घुटने जवाब देने लगे हैं
बोलती है तो कभी-कभी
काँपने लगती है उसकी ज़बान
घर के लोगों के राडार पर
उसकी उपस्थिति अब
दर्ज़ नहीं होती
लेकिन वह है कि
बहे जा रही है अब भी
एक सजल संवेदना-सी
समूचे घर में --
अरे बच्चों ने खाना खाया कि नहीं
कोई पौधों को पानी दे देना ज़रा
बारिश भी तो ठीक से
नहीं हुई है इस साल