"माँ तुम क्यों कविता लिखती हो? / अनामिका अनु" के अवतरणों में अंतर
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कितने बच्चे जेलों में है | कितने बच्चे जेलों में है | ||
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माँ तुम इंक़लाब नहीं लिखती | माँ तुम इंक़लाब नहीं लिखती | ||
किसी सवाल का जवाब नहीं लिखती | किसी सवाल का जवाब नहीं लिखती | ||
− | दंगा है,मंहगाई है | + | दंगा है, मंहगाई है |
सड़क पर कुचली लाश पड़ी है | सड़क पर कुचली लाश पड़ी है | ||
धूप है, पसीना है | धूप है, पसीना है | ||
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पेड़ों पर हैं लाश टंगी | पेड़ों पर हैं लाश टंगी | ||
− | खेत बेचैन,खलिहान है खाली | + | खेत बेचैन, खलिहान है खाली |
डूब गयी फसलें रोती हैं | डूब गयी फसलें रोती हैं | ||
माँ तुम कविता में हँसती हो | माँ तुम कविता में हँसती हो | ||
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किताबें मिली नहीं हैं जिनको | किताबें मिली नहीं हैं जिनको | ||
उनकी आँखों के सपनों को छीन लिया निर्मम बाज़ारों ने | उनकी आँखों के सपनों को छीन लिया निर्मम बाज़ारों ने | ||
− | चोरी हुए सपनों की शिकायत दर्ज़ | + | चोरी हुए सपनों की शिकायत दर्ज़ कहाँ करनी होती है? |
− | हिरासत मे मरे लोगों की | + | हिरासत मे मरे लोगों की शिनाख़्त कैसे करनी पड़ती है? |
इनमें से कुछ भी तुम क्यों नहीं लिखती हो? | इनमें से कुछ भी तुम क्यों नहीं लिखती हो? |
11:47, 26 नवम्बर 2024 के समय का अवतरण
माँ तुम क्यों कविता लिखती हो?
कविता में प्रेम क्यों इतना लिखती हो?
कितने बच्चे जेलों में है
कितने ज़ख़्मी, भूखे और बीमार पड़े हैं
माँ तुम इंक़लाब नहीं लिखती
किसी सवाल का जवाब नहीं लिखती
दंगा है, मंहगाई है
सड़क पर कुचली लाश पड़ी है
धूप है, पसीना है
भीड़ भी है, हंगामा भी
फिर भी तुम क्यों सपना लिखती हो?
माँ तुम क्यों कविता लिखती हो?
जो कहना चाहे कह न सके हम
अवसाद के इस कठिन समय में
माँ तुम प्रेम-परिणय की कथा लिखती हो
माँ तुम क्यों कविता लिखती हो?
पेड़ों पर हैं लाश टंगी
खेत बेचैन, खलिहान है खाली
डूब गयी फसलें रोती हैं
माँ तुम कविता में हँसती हो
बोलो न!
क्यों कविता लिखती हो?
किताबें मिली नहीं हैं जिनको
उनकी आँखों के सपनों को छीन लिया निर्मम बाज़ारों ने
चोरी हुए सपनों की शिकायत दर्ज़ कहाँ करनी होती है?
हिरासत मे मरे लोगों की शिनाख़्त कैसे करनी पड़ती है?
इनमें से कुछ भी तुम क्यों नहीं लिखती हो?
लाश की ढेर पर बैठकर तुम क्यों ‘नयी नीरो’ बनती हो?
माँ तुम क्यों कविता लिखती हो?