भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वो ढूँढ रहे गूगल में / दिनेश शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:44, 11 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण

दुआओं रहनुमाओं को रहे वह ढूँढ गूगल में
दिलों की ख़ास बातों को रहे वह ढूँढ गूगल में

बड़े नादान हैं वह भी भरोसा ख़ूब करते हैं
अहा नाज़ुक फिज़ाओं को रहे वह ढूँढ गूगल में

लगे अहसास जब मेरे उन्हें कुछ पास दिल के तो
तभी से मेरे गीतों को रहे वह ढूँढ गूगल में

नया है आज का युग तो नयी इसकी कहानी है
दवाओं औ अदाओं को रहे वह ढूँढ गूगल में

हुआ नीलाम बढ़ चढ़कर यहाँ ईमान गलियों में
तभी शायद दुकानों को रहे वह ढूँढ गूगल में