"बुनने बैठ गयी हूँ स्वेटर / गरिमा सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गरिमा सक्सेना |अनुवादक= |संग्रह=ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:02, 24 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण
एक पुराने स्वेटर से
धागे उधेड़ कर
बुनने बैठ गयी हूँ एक नया मैं स्वेटर
फिर से इसमें कसे हुए फंदे डालूँगी
नये तरह के नये डिज़ाइन भी ढालूँगी
नये स्वप्न, स्फूर्ति नयी, कुछ रंग नये भी
थकी हुई आँखों में ज्यों तितली पालूँगी
लौटेगा वैसी ही फिर
गर्माहट लेकर
बुनने बैठ गयी हूँ एक नया मैं स्वेटर
अरसे से था वही पुराना ताना-बाना
पड़ा रहा बदलावों से होकर अनजाना
यादों की गठरी में कबसे बँधा हुआ था
था अतीत के पन्नों ने केवल पहचाना
सोचा इसको नया रूप
दूँगी अब बेहतर
बुनने बैठ गयी हूँ एक नया मैं स्वेटर
इसके साथ स्वयं को आज बदलना होगा
नया सीखना, ढलना और सँभलना होगा
ख़ुद को भी अनुकूलित करना होगा मुझको
साथ समय के मुझे निरंतर चलना होगा
प्रस्तुत होना है मुझको भी
उन्नत होकर
बुनने बैठ गयी हूँ एक नया मैं स्वेटर।