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"ये भयानक सियाह रात निकाल / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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ये भयानक सियाह रात निकाल | ये भयानक सियाह रात निकाल | ||
− | दौलते हुस्न की ज़कात | + | दौलते हुस्न की ज़कात निकाल |
उसने हाँ कर दी है तो ऐ दुनिया | उसने हाँ कर दी है तो ऐ दुनिया | ||
क़ौम की बात कर, न ज़ात निकाल | क़ौम की बात कर, न ज़ात निकाल | ||
− | हज़रते-ख़िज्र | + | हज़रते-ख़िज्र रास्ता न बता |
इस अंधेरे में अपना हाथ निकाल | इस अंधेरे में अपना हाथ निकाल | ||
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ज़िक्रे फ़रहादो-क़ैस रहने दे | ज़िक्रे फ़रहादो-क़ैस रहने दे | ||
− | शाख़े- | + | शाख़े-आहूपे मत बरात निकाल |
ख़ुद इबारत वजूद खो बैठे | ख़ुद इबारत वजूद खो बैठे | ||
इतने ज़्यादा न अब नुक़ात निकाल | इतने ज़्यादा न अब नुक़ात निकाल | ||
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17:57, 31 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण
ये भयानक सियाह रात निकाल
दौलते हुस्न की ज़कात निकाल
उसने हाँ कर दी है तो ऐ दुनिया
क़ौम की बात कर, न ज़ात निकाल
हज़रते-ख़िज्र रास्ता न बता
इस अंधेरे में अपना हाथ निकाल
हाथ लग जाए इस फ़साना और
हर कहानी में ऐसी बात निकाल
ज़िक्रे फ़रहादो-क़ैस रहने दे
शाख़े-आहूपे मत बरात निकाल
ख़ुद इबारत वजूद खो बैठे
इतने ज़्यादा न अब नुक़ात निकाल