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"ब्याह / दिनेश शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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18:44, 25 जनवरी 2025 के समय का अवतरण

मेरे ब्याह का आज कसूता,
चा मां-बाबू कै चढ़ रहयाँ सै
सुपने सारे पूरे होगे,
ना पां धरती पै पड़ रह्या सै

ब्याह पाछै करडी मेहनत तै,
हाम्म बालक मिल कै पाले थे
खेत क्यार डांगर ढोर सब
बरसों बरस रूखाले थे
दिन देख्या ना रात कदे,
ठुमका ताऊ जड़ रहया सै
सुपने सारे पूरे होगे
ना पां धरती पै पड़ रह्या सै

दादा दादी घर कुणबे कै,
उस दिन आस बड़ी थी
बुआ आई माँ के जापे पै,
बाहण दरवाजै आण खड़ी थी
दाई ने देई आण बधाई,
ओ ध्यान बख्त चढ़ रह्या सै
सुपने सारे पूरे होगे
ना पां धरती पै पड़ रह्या सै

चुल्हा चौका साफ़ सफाई,
पढ़ाई म्है कसर नहीं सै
बणके अफसर सफल जिंदगी
जी री बाहण सही सै
जिस अफसर गेल्याँ ब्याही
आज नाचण नै अड रह्या सै
सुपने सारे पूरे होगे
ना पां धरती पै पड़ रह्या सै

पढ़ लिख कै डॉक्टर बणग्या
मेहनत सबकी रंग ल्याई
आज नाच-नाच कै ग़ज़ब करैं
सारे मितर प्यारे भाई
पढ़-लिखी बहू का रूप
सबके मन नै हड रह्या सै
सुपने सारे पूरे होगे
ना पां धरती पै पड़ रह्या सै

मेरे ब्याह का आज कसूता,
चा मां-बाबू कै चढ़ रहयाँ सै
सुपने सारे पूरे होगे,
ना पां धरती पै पड़ रह्या सै