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"दौड़ जाने दो क्षण भर / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर
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| − | आपकी स्नेह भरी | + | आपकी स्नेह भरी छाँव को झुठलाती मैं |
नन्हीं चिड़िया सी घर में इधर-उधर फुदक जाती मैं | नन्हीं चिड़िया सी घर में इधर-उधर फुदक जाती मैं | ||
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पर | पर | ||
| − | उसी | + | उसी छाँव के सहारे पलती बढती |
| − | जाने कब | + | जाने कब हुई घने वृक्ष जैसी बड़ी मैं |
पता नहीं बीते कितने बरस | पता नहीं बीते कितने बरस | ||
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भूल गए सारे के सारे, पुराने पल | भूल गए सारे के सारे, पुराने पल | ||
| − | इस क्षण | + | इस क्षण ऊँचे लोहे के जालीदार गेट को देख |
मन क्यों अकुलाया | मन क्यों अकुलाया | ||
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कोई जादूगर | कोई जादूगर | ||
| − | ना रोको नहीं मुझे | + | ना, रोको नहीं मुझे |
अभी क्षणांश में लौट आऊंगी | अभी क्षणांश में लौट आऊंगी | ||
| − | पर इस पल दौड़ जाने दो मुझे | + | पर इस पल दौड़ जाने दो मुझे बाँहें फैलाए |
फूली फ्राक के घेरे के संग-संग | फूली फ्राक के घेरे के संग-संग | ||
| − | बचपन कि कच्ची पक्की गलियों में क्षण भर | + | बचपन कि कच्ची-पक्की गलियों में क्षण-भर |
14:25, 25 नवम्बर 2008 का अवतरण
दौड़ जाने दो क्षण भर
आपकी स्नेह भरी छाँव को झुठलाती मैं
नन्हीं चिड़िया सी घर में इधर-उधर फुदक जाती मैं
पर
उसी छाँव के सहारे पलती बढती
जाने कब हुई घने वृक्ष जैसी बड़ी मैं
पता नहीं बीते कितने बरस
भूल गए सारे के सारे, पुराने पल
इस क्षण ऊँचे लोहे के जालीदार गेट को देख
मन क्यों अकुलाया
एक बार झूलने को हुआ तत्पर
मुड़कर पीछे देखने पर ज्यों
निहारता है मुझे मीठी निगाहों से
कोई जादूगर
ना, रोको नहीं मुझे
अभी क्षणांश में लौट आऊंगी
पर इस पल दौड़ जाने दो मुझे बाँहें फैलाए
फूली फ्राक के घेरे के संग-संग
बचपन कि कच्ची-पक्की गलियों में क्षण-भर
