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साजिशन जब तख्त से तौहीने नक़्कादी हुई।
 
साजिशन जब तख्त से तौहीने नक़्कादी हुई।

22:41, 26 जनवरी 2025 के समय का अवतरण

साजिशन जब तख्त से तौहीने नक़्कादी हुई।
फिर तो जनता मुल्क की हर ज़ुल्म की आदी हुई।

ये सवाल अब भी नहीं हल होते दिखता बोलिये,
कब तलक ढ़ोयेंगें हम ये बन्दिशें लादी हुई।

आसमां हिस्से में सारा सिर्फ़ बाजों को मिला,
एक भी तायिर को कब महसूस आज़ादी हुई।

लोग ज़िम्मेदार सारे थे कहाँ उस वक़्त पर,
जब हवाले आग के फिरदौस की वादी हुई।

बाहरी लोगों के आने से बढ़ी हैं मुश्किलें,
यूँ नहीं काबू से बाहर दोस्त आबादी हुई।

बाद आज़ादी के पैदा मुल्क में अफ़सोस है,
बावफा कोई न शहजादा न शहजादी हुई।

कह दूँ सच ‘विश्वास’ करियेगा हवा से आचमन,
और कुछ दिन यूँ ही गर पानी की बरबादी हुई।