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"गया, जाते जाते ख़ला दे गया / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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− | गया, जाते जाते ख़ला दे गया | + | गया, जाते जाते ख़ला दे गया |
मुसलसल ग़मों की बला दे गया | मुसलसल ग़मों की बला दे गया | ||
− | दुआएँ यक़ीनन करेंगी असर | + | दुआएँ यक़ीनन करेंगी असर |
− | बज़ाहिर हमें हौसला दे गया | + | बज़ाहिर हमें हौसला दे गया |
− | सुकूँ ही सुकूँ था जहाँ दूर तक | + | सुकूँ ही सुकूँ था जहाँ दूर तक |
− | वहाँ | + | वहाँ पुर'असर ज़लज़ला दे गया |
न दें गालियाँ पीठ पीछे उसे | न दें गालियाँ पीठ पीछे उसे | ||
मुक़द्दर जिसे बरमला दे गया | मुक़द्दर जिसे बरमला दे गया | ||
− | तलातुम से जिसको निकाला था कल | + | तलातुम से जिसको निकाला था कल |
वही आज मौजे-बला दे गया | वही आज मौजे-बला दे गया | ||
हमेशा रहेगा दिलों में असर | हमेशा रहेगा दिलों में असर | ||
− | अजब ग़म, ग़मे- | + | अजब ग़म, ग़मे-कर्बला दे गया |
सुना है 'रक़ीब' इस ज़मीं पर नहीं | सुना है 'रक़ीब' इस ज़मीं पर नहीं | ||
− | ग़ज़ल | + | ग़ज़ल की मुझे जो कला दे गया |
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01:26, 28 जनवरी 2025 के समय का अवतरण
गया, जाते जाते ख़ला दे गया
मुसलसल ग़मों की बला दे गया
दुआएँ यक़ीनन करेंगी असर
बज़ाहिर हमें हौसला दे गया
सुकूँ ही सुकूँ था जहाँ दूर तक
वहाँ पुर'असर ज़लज़ला दे गया
न दें गालियाँ पीठ पीछे उसे
मुक़द्दर जिसे बरमला दे गया
तलातुम से जिसको निकाला था कल
वही आज मौजे-बला दे गया
हमेशा रहेगा दिलों में असर
अजब ग़म, ग़मे-कर्बला दे गया
सुना है 'रक़ीब' इस ज़मीं पर नहीं
ग़ज़ल की मुझे जो कला दे गया