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"हर नज़र देख रही रद्दो बदल बोलेगी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'" के अवतरणों में अंतर

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22:40, 28 जनवरी 2025 के समय का अवतरण

हर नज़र देख रही रद्दो बदल बोलेगी।
आज चुप खेत भले कल ये फ़सल बोलेगी।

मुतमइन आप रहें फ़र्क़ दिखाई देगा,
रू-ब-रू अस्ल के किस हक़ से नक़ल बोलेगी।

कैसे बोलोगे, अगर फ़र्ज़ मुकम्मल न हुये,
जिस घड़ी सर पर खड़ी होके अजल बोलेगी।

किसको कहते हैं तरक़्की ये दिखाई देगा,
बस्ती जब अपनी कहानी को बदल बोलेगी।

आइये आज बदलते हैं ज़माना मिलकर,
है यकीं पुख्तः मियाँ अपनी पहल बोलेगी।

हक बयानी में जबा काटे ये दुनिया बेशक,
मैं न बोलूँगा, मगर मेरी ग़ज़ल बोलेगी।

तोड़कर सारे तिलिस्मात यकी़नन ‘विश्वास’,
सुब्ह की ताजः हवा ढूँढ़ के हल बोलेगी।