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"लब पे भूले से मेरा नाम जो आया होगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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− | लब पे भूले से मेरा नाम जो आया होगा | + | लब पे भूले से मेरा नाम जो आया होगा |
दिल की बेताब उमंगों को छिपाया होगा | दिल की बेताब उमंगों को छिपाया होगा | ||
− | तुझपे अहसाँ न किया मुझपे बकाया होगा | + | तुझपे अहसाँ न किया मुझपे बकाया होगा |
पिछले जन्मों का कोई क़र्ज़ चुकाया होगा | पिछले जन्मों का कोई क़र्ज़ चुकाया होगा | ||
− | जब्त होता ही नहीं अपने करम का उनसे | + | जब्त होता ही नहीं अपने करम का उनसे |
सैकड़ों बार तो अहसान जताया होगा | सैकड़ों बार तो अहसान जताया होगा | ||
− | नाम लेकर न बुज़ुर्गों को पुकारो अपने | + | नाम लेकर न बुज़ुर्गों को पुकारो अपने |
जाने किसने तुझे गोदी में खिलाया होगा | जाने किसने तुझे गोदी में खिलाया होगा | ||
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ज़ाहिरन उसने नहीं ख़्वाब की वादी में सही | ज़ाहिरन उसने नहीं ख़्वाब की वादी में सही | ||
− | + | साथ उसके कभी गुल कोई खिलाया होगा | |
− | काटकर साँप, सपेरे को बहुत रोया था | + | काटकर साँप, सपेरे को बहुत रोया था |
− | + | यादकर उसने कभी दूध पिलाया होगा | |
अश्क आँखों में उमड़ पड़ते रहे होंगे 'रक़ीब' | अश्क आँखों में उमड़ पड़ते रहे होंगे 'रक़ीब' | ||
− | दर्दे-दिल जब भी कभी उसको सुनाया होगा | + | दर्दे-दिल जब भी कभी उसको सुनाया होगा |
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23:01, 29 जनवरी 2025 के समय का अवतरण
लब पे भूले से मेरा नाम जो आया होगा
दिल की बेताब उमंगों को छिपाया होगा
तुझपे अहसाँ न किया मुझपे बकाया होगा
पिछले जन्मों का कोई क़र्ज़ चुकाया होगा
जब्त होता ही नहीं अपने करम का उनसे
सैकड़ों बार तो अहसान जताया होगा
नाम लेकर न बुज़ुर्गों को पुकारो अपने
जाने किसने तुझे गोदी में खिलाया होगा
उनसे लड़ना है मुझे सोच रहे हैं अर्जुन
जिसने बचपन में कभी लड़ना सिखाया होगा
तेरी मुश्किल को बना देंगी दुआएं आसाँ
सर पे माँ-बाप का जब तक तेरे साया होगा
ज़ाहिरन उसने नहीं ख़्वाब की वादी में सही
साथ उसके कभी गुल कोई खिलाया होगा
काटकर साँप, सपेरे को बहुत रोया था
यादकर उसने कभी दूध पिलाया होगा
अश्क आँखों में उमड़ पड़ते रहे होंगे 'रक़ीब'
दर्दे-दिल जब भी कभी उसको सुनाया होगा