भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कारपोरेट गेम / उत्पल डेका / नीरेन्द्र नाथ ठाकुरिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उत्पल डेका |अनुवादक=नीरेन्द्र ना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:42, 1 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण

खोपड़ी के अन्दर की दुनिया
बिना चश्मे के दिखती है
अजीब दुनिया
 
हमने जो खेल खेला
वह ख़त्म नहीं हुआ
 
बड़े अक्षरों में छपे विज्ञापनों के पीछे
पानी की चिपकी हुई बून्दें हैं
निवेश का जीवन
 
खून चूसना हमारा धर्म है
 
शोषकों और शासकों की
हड्डियों में पले बच्चे भूख से रोते हैं

मज़े के लिए दूसरों के मुँह से
निवाला छीनने का खेल दिलचस्प है

मूल असमिया भाषा से अनुवाद : नीरेन्द्र नाथ ठाकुरिया