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"इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो
 
इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो
 
बच के काँटों से रक्खा करो तुम क़दम, पैर नाज़ुक है उसको बचाया करो
 
बच के काँटों से रक्खा करो तुम क़दम, पैर नाज़ुक है उसको बचाया करो
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घर से श्रिंगार करके निकलती तो हो, हाँ मगर इतनी सी इल्तिजा है मेरी
 
घर से श्रिंगार करके निकलती तो हो, हाँ मगर इतनी सी इल्तिजा है मेरी
 
गाल पर एक तिल सा बनाया करो, जब भी नैनो में काजल लगाया करो
 
गाल पर एक तिल सा बनाया करो, जब भी नैनो में काजल लगाया करो
 
तुमने मुझको लिखा था जो ख़त प्यार का, जो भी उसमें लिखा था वो अच्छा लगा
 
यूँ न नैनो से निंदिया चुराया करो, आ के सपनों में मुझको सताया करो
 
 
घर की अंगनाई में या के तन्हाई में, जब तुम्हें याद मेरी सताने लगे
 
भूलकर दूरियां मन ही मन जानेमन, फूल की तरह तुम मुस्कराया करो
 
  
 
याद करके तुम्हें गीत लिखता हूँ मैं, मेरा हर गीत है बस तुम्हारे लिए
 
याद करके तुम्हें गीत लिखता हूँ मैं, मेरा हर गीत है बस तुम्हारे लिए
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प्यार करता हूँ तुमसे ख़ुदा की क़सम, प्यार की राह में हैं बड़े पेचो-ख़म
 
प्यार करता हूँ तुमसे ख़ुदा की क़सम, प्यार की राह में हैं बड़े पेचो-ख़म
है 'रक़ीबे'-जहाँ की यही इल्तिजा, जो भी वादा करो वो निभाया करो  
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है 'रक़ीबे'-जहाँ की यही इल्तिजा, जो भी वादा करो वो निभाया करो
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15:18, 5 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण

इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो
बच के काँटों से रक्खा करो तुम क़दम, पैर नाज़ुक है उसको बचाया करो

तुम हसीनों में सबसे जुदा हो सनम, लोग यूं तो नहाते हैं पानी से सब
नर्म नाज़ुक बदन है तुम्हारा बहुत, दूध से तुम मेरी जाँ नहाया करो

आपके घर से मंदिर नहीं दूर कुछ, मैं भी आता हूँ हर रोज़ मंदिर सनम
होगी पूजा बहाना मुलाक़ात का, बस वहीं जलवा अपना दिखाया करो

घर से श्रिंगार करके निकलती तो हो, हाँ मगर इतनी सी इल्तिजा है मेरी
गाल पर एक तिल सा बनाया करो, जब भी नैनो में काजल लगाया करो

याद करके तुम्हें गीत लिखता हूँ मैं, मेरा हर गीत है बस तुम्हारे लिए
चैन आ जाएगा मन बहल जाएगा, गीत मेरा सदा गुनगुनाया करो

प्यार है तो कहो बेरुख़ी किसलिए, किस ख़ता पर मेरी है शिकायत तुम्हें
मेरी नज़रों से नज़रें मिलाकर कहो, शर्म से सर न अपना झुकाया करो

प्यार करता हूँ तुमसे ख़ुदा की क़सम, प्यार की राह में हैं बड़े पेचो-ख़म
है 'रक़ीबे'-जहाँ की यही इल्तिजा, जो भी वादा करो वो निभाया करो