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"तू जो मुझसे प्यार करता, तू जो मेरा यार होता / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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तू जो मुझसे प्यार करता, तू जो मेरा यार होता
 
तू जो मुझसे प्यार करता, तू जो मेरा यार होता
मेरी आशिक़ी का चर्चा, भी न बेशुमार होता
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मेरी आशिक़ी का चर्चा, यहां बेशुमार होता
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मिरे दिल के शहर पर जो तिरी होती बस हुकूमत
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मिरे दिल पे मरते दम तक तिरा इक़्तिदार होता
  
मुझे जो न होती चाहत कोई करता क्यों हुकूमत
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कोई क्यों हंसी उड़ाता मिरे इश्क़ की जहां में
मेरे दिल पे दर-हक़ीक़त तेरा इक़तिदार होता
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मिरा दामने-मुहब्बत, जो न तार-तार होता
  
मेरे शहर वाले, मेरी भला क्यों हँसी उड़ाते
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जो फ़िदा वतन पे होता तो सदा अमर ही रहता
मेरा दामने-मुहब्बत, जो न तार-तार होता
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दिलो-जाँ से तुझपे सारा, ये जहाँ निसार होता
  
जो किए थे तुमने वादे, वो सभी जो तुम निभाते
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नहीं कुछ गिला कि तू ने, मुझे ठोकरों पे रक्खा
दिलो-जाँ से तुमपे सारा, ये जहाँ निसार होता
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मगर आरज़ू यही है कि गले का हार होता
  
तेरा शुक्रिया के तू ने, मुझे ठोकरों पे रक्खा
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तिरे  बाद सारी दुनिया, तुझे याद करके रोती
मेरी आरज़ू थी तेरे, मैं गले का हार होता
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जो 'रक़ीब' तू न होता, जो वफ़ा-शि'आर होता
  
तेरे बाद सारी दुनिया, तुझे याद करके रोती
 
जो 'रक़ीब' तू न होता, जो वफा-शियार होता
 
 
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21:53, 5 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण

तू जो मुझसे प्यार करता, तू जो मेरा यार होता
मेरी आशिक़ी का चर्चा, यहां बेशुमार होता

मिरे दिल के शहर पर जो तिरी होती बस हुकूमत
मिरे दिल पे मरते दम तक तिरा इक़्तिदार होता

कोई क्यों हंसी उड़ाता मिरे इश्क़ की जहां में
मिरा दामने-मुहब्बत, जो न तार-तार होता

जो फ़िदा वतन पे होता तो सदा अमर ही रहता
दिलो-जाँ से तुझपे सारा, ये जहाँ निसार होता

नहीं कुछ गिला कि तू ने, मुझे ठोकरों पे रक्खा
मगर आरज़ू यही है कि गले का हार होता

तिरे बाद सारी दुनिया, तुझे याद करके रोती
जो 'रक़ीब' तू न होता, जो वफ़ा-शि'आर होता