"मेरा दिल जिस दिन मचलेगा, यार तुझे बहलाना होगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब' | संग्रह = }} {{KKCatGhazal}} <poem> मेरा दिल…) |
SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatGhazal}} | {{KKCatGhazal}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
मेरा दिल जिस दिन मचलेगा, यार तुझे बहलाना होगा | मेरा दिल जिस दिन मचलेगा, यार तुझे बहलाना होगा | ||
मुझपे इनायत करनी होगी, और करम फ़रमाना होगा | मुझपे इनायत करनी होगी, और करम फ़रमाना होगा | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 18: | ||
हम तो नहीं होंगे दुनिया में, पर अपना अफसाना होगा | हम तो नहीं होंगे दुनिया में, पर अपना अफसाना होगा | ||
− | सुनते थे बचपन में क़िस्से, | + | सुनते थे बचपन में क़िस्से, दादी-दादा से अक्सर हम |
− | ऐसे भी दिन आएँगे | + | ऐसे भी दिन आएँगे, धन, सुख-दुःख का पैमाना होगा |
बच्चों को सुख देना है तो, फिर मेहनत भी करनी होगी | बच्चों को सुख देना है तो, फिर मेहनत भी करनी होगी | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 26: | ||
तुम हो 'रक़ीब'-ए-अहले मुहब्बत, तुमको सज़ा दी जाती है ये | तुम हो 'रक़ीब'-ए-अहले मुहब्बत, तुमको सज़ा दी जाती है ये | ||
साज़ पे ग़म के गीत खुशी का, अब तुम ही को गाना होगा | साज़ पे ग़म के गीत खुशी का, अब तुम ही को गाना होगा | ||
+ | |||
</poem> | </poem> |
23:14, 5 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण
मेरा दिल जिस दिन मचलेगा, यार तुझे बहलाना होगा
मुझपे इनायत करनी होगी, और करम फ़रमाना होगा
रोक सके तो रोक ले कोई, पालने वाले की किरपा से
उड़ कर आ जाएगा मुहं में, जो क़िस्मत का दाना होगा
किसको पता था, किसको ख़बर थी, आएगा इक दिन ऐसा भी
पीने होंगे आंसू भी कुछ, और कुछ ग़म भी खाना होगा
अपनी मोहब्बत के चर्चे भी, होंगे महफ़िल महफ़िल में कल
हम तो नहीं होंगे दुनिया में, पर अपना अफसाना होगा
सुनते थे बचपन में क़िस्से, दादी-दादा से अक्सर हम
ऐसे भी दिन आएँगे, धन, सुख-दुःख का पैमाना होगा
बच्चों को सुख देना है तो, फिर मेहनत भी करनी होगी
जाकर रोज़ सवेरे घर से, रात गए ही आना होगा
तुम हो 'रक़ीब'-ए-अहले मुहब्बत, तुमको सज़ा दी जाती है ये
साज़ पे ग़म के गीत खुशी का, अब तुम ही को गाना होगा