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"मीठे अल्फ़ाज़ की जज़्बात पे बारिश करना / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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मीठे अल्फ़ाज़ की जज़्बात पे बारिश करना
 
मीठे अल्फ़ाज़ की जज़्बात पे बारिश करना
भा गया दिल को मेरे उसका नवाज़िश करना
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भा गया दिल को मिरे उसका नवाज़िश करना
  
जिसकी फ़ितरत थी हमेशा से सताइश करना  
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जिसकी फ़ितरत थी हमेशा से सताइश करना
क्या पता कैसे उसे आ गया साज़िश करना  
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क्या पता कैसे उसे आ गया साज़िश करना
  
फ़ितरते-हुस्न में शामिल है सितम आशिक़ पर
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फ़ित्रते-हुस्न में शामिल है सितम आशिक़ पर
फ़ितरते-इश्क़, सितम सह के है नाज़िश करना
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फ़ित्रते-इश्क़, सितम सह के है नाज़िश करना
  
 
मैंने जब उसकी सहेली से कहा, हँसने लगी
 
मैंने जब उसकी सहेली से कहा, हँसने लगी
रात को छत पे मिले, उससे गुज़ारिश करना
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रात छत पर वो मिले, उससे गुज़ारिश करना
  
 
दिल तो दिल है ये अदाओं पे भी आ सकता है
 
दिल तो दिल है ये अदाओं पे भी आ सकता है
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जिसने उम्मीद का आईना कुचल डाला हो
 
जिसने उम्मीद का आईना कुचल डाला हो
उससे बेकार है दिल, प्यार की ख़्वाहिश करना
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उससे बेकार है अब, प्यार की ख़्वाहिश करना
  
 
मैं तो शाइर हूँ किया नज़्म तुझे मैंने 'रक़ीब'
 
मैं तो शाइर हूँ किया नज़्म तुझे मैंने 'रक़ीब'
 
"कोई आसां नहीं औरों की सताइश करना"
 
"कोई आसां नहीं औरों की सताइश करना"
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23:37, 5 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण

मीठे अल्फ़ाज़ की जज़्बात पे बारिश करना
भा गया दिल को मिरे उसका नवाज़िश करना

जिसकी फ़ितरत थी हमेशा से सताइश करना
क्या पता कैसे उसे आ गया साज़िश करना

फ़ित्रते-हुस्न में शामिल है सितम आशिक़ पर
फ़ित्रते-इश्क़, सितम सह के है नाज़िश करना

मैंने जब उसकी सहेली से कहा, हँसने लगी
रात छत पर वो मिले, उससे गुज़ारिश करना

दिल तो दिल है ये अदाओं पे भी आ सकता है
क्या ज़रूरी है बदन की यूँ नुमाइश करना

जिसने उम्मीद का आईना कुचल डाला हो
उससे बेकार है अब, प्यार की ख़्वाहिश करना

मैं तो शाइर हूँ किया नज़्म तुझे मैंने 'रक़ीब'
"कोई आसां नहीं औरों की सताइश करना"