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"दो सज़ा शौक़ से सज़ा क्या है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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ये बताकर मेरी ख़ता क्या है
 
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सर निगूँ है बता हुआ क्या है
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किसने दी है सज़ा, ख़ता क्या है
  
 
है ज़रूरी बहुत समझ लेना
 
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प्यार करता हूँ मैं नहीं मालूम
 
प्यार करता हूँ मैं नहीं मालूम
नारवा क्या है और रवा क्या है
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इसमें बेजा है क्या, बजा क्या है
  
है अमानत ये ज़िन्दगी उस की
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है अमानत ये ज़िन्दगी उसकी
ये बताओ की आपका क्या है
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ये बताएँ कि आपका क्या है
  
 
उसने शरमा के कान में मेरे
 
उसने शरमा के कान में मेरे
कुछ कहा है मगर कहा क्या है
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कुछ कहा है, मगर कहा क्या है
  
 
दिल किसी का कभी नहीं रखता
 
दिल किसी का कभी नहीं रखता
 
इक मुसीबत है, आईना क्या है
 
इक मुसीबत है, आईना क्या है
  
एक मंज़िल हो जिनकी, इक मक़सद
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एक मक़सद है अपना इक मंज़िल
 
साथ चलने में फिर बुरा क्या है
 
साथ चलने में फिर बुरा क्या है
  
जब तसव्वर में हुस्न हो न 'रक़ीब'
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गर तसव्वुर में हुस्न हो न 'रक़ीब'
शेर गोई में इस मज़ा क्या है
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शेर गोई में फिर मज़ा क्या है
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01:26, 6 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण

दो सज़ा शौक़ से सज़ा क्या है
ये बताकर मेरी ख़ता क्या है

सर निगूँ है बता हुआ क्या है
किसने दी है सज़ा, ख़ता क्या है

है ज़रूरी बहुत समझ लेना
बन्दगी क्या है और ख़ुदा क्या है

प्यार करता हूँ मैं नहीं मालूम
इसमें बेजा है क्या, बजा क्या है

है अमानत ये ज़िन्दगी उसकी
ये बताएँ कि आपका क्या है

उसने शरमा के कान में मेरे
कुछ कहा है, मगर कहा क्या है

दिल किसी का कभी नहीं रखता
इक मुसीबत है, आईना क्या है

एक मक़सद है अपना इक मंज़िल
साथ चलने में फिर बुरा क्या है

गर तसव्वुर में हुस्न हो न 'रक़ीब'
शेर गोई में फिर मज़ा क्या है