भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बेवफ़ा को भी जहाँ में बावफ़ा मिल जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब' | संग्रह = }} {{KKCatGhazal}} <poem> बेवफ़ा क…)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatGhazal}}
 
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
बेवफ़ा को भी जहाँ में बा-वफ़ा मिल जाएगा
 +
मेरी बाहों में मुहब्बत का सिला मिल जाएगा
  
बेवफ़ा को भी जहाँ में बावफ़ा मिल जाएगा
+
क्या लिखा है फूल की क़िस्मत में किसको है ख़बर
नफ़रतों से प्यार का उसको सिला  मिल जाएगा
+
सर चढ़ेगा, या कि क़दमों में पड़ा मिल जाएगा
 
+
शेख़, हम होंगे जुदा वादा बिरहमन यार का
+
जब मुझे भगवान या तुझको ख़ुदा मिल जाएगा
+
 
+
फूल बनकर ही खुलेगा बन्द कलियों का नसीब
+
सर चढ़ेगा, कोई क़दमों में पड़ा मिल जाएगा
+
  
 
बन्द हैं सब खिड़कियाँ और बन्द हैं सारे किवाड़
 
बन्द हैं सब खिड़कियाँ और बन्द हैं सारे किवाड़
पंक्ति 20: पंक्ति 16:
  
 
थक के वो बैठा ही था, फिर चल पड़ा ये सोचकर
 
थक के वो बैठा ही था, फिर चल पड़ा ये सोचकर
कोई न कोई कहीं तो दर खुला मिल जाएगा
+
दर कहीं कोई न कोई तो खुला मिल जाएगा
 +
 
 +
शेख़, हम होंगे जुदा वादा बिरहमन यार का
 +
जब मुझे भगवान या तुझको ख़ुदा मिल जाएगा
  
 
कम नहीं होंगे सितम, बेहतर है साथी ढूंढ ले
 
कम नहीं होंगे सितम, बेहतर है साथी ढूंढ ले
पंक्ति 27: पंक्ति 26:
 
है तो मुश्किल, कोशिशों से तू बना मुमकिन 'रक़ीब'
 
है तो मुश्किल, कोशिशों से तू बना मुमकिन 'रक़ीब'
 
सर छिपाने को कहीं भी घोंसला मिल जाएगा
 
सर छिपाने को कहीं भी घोंसला मिल जाएगा
 +
 
</poem>
 
</poem>

00:22, 7 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण

बेवफ़ा को भी जहाँ में बा-वफ़ा मिल जाएगा
मेरी बाहों में मुहब्बत का सिला मिल जाएगा

क्या लिखा है फूल की क़िस्मत में किसको है ख़बर
सर चढ़ेगा, या कि क़दमों में पड़ा मिल जाएगा

बन्द हैं सब खिड़कियाँ और बन्द हैं सारे किवाड़
घर में कैसे मुफ़लिसी को दाख़िला मिल जाएगा

थक के वो बैठा ही था, फिर चल पड़ा ये सोचकर
दर कहीं कोई न कोई तो खुला मिल जाएगा

शेख़, हम होंगे जुदा वादा बिरहमन यार का
जब मुझे भगवान या तुझको ख़ुदा मिल जाएगा

कम नहीं होंगे सितम, बेहतर है साथी ढूंढ ले
“ज़ुल्म से लड़ने का दिल को हौसला मिल जाएगा”

है तो मुश्किल, कोशिशों से तू बना मुमकिन 'रक़ीब'
सर छिपाने को कहीं भी घोंसला मिल जाएगा