भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"किताब / गायत्रीबाला पंडा / राजेन्द्र प्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गायत्रीबाला पंडा |अनुवादक=राजेन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:48, 19 फ़रवरी 2025 का अवतरण
एक किताब-सी
वह खुलती है, बन्द होती है
पुरुष की इच्छा से ।
एक किताब की तरह
उसके हर पन्ने पर
नज़र डालता है पुरुष
और जहाँ मन करता है वहाँ ठहरकर
बड़े ध्यान से पढ़ता है।
छक जाने और थक जाने पर
उसे दरकिनार कर देता है एक कोने में
और खर्राटे भरने लगता है
तृप्ति से ।