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"शब्द और अर्थ के बीच / गायत्रीबाला पंडा / राजेन्द्र प्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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20:29, 19 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण
शब्द और अर्थ के बीच
एक नारी ही बदल जाती है
लम्बे इन्तज़ार में ।
ख़ुद को कोड़ती है
बीज बोती है
अनाज उपजाती है
धरती को सदाबहार बनाती है
और जीवनभर
किसी न किसी की छाया में बैठकर
एक इनसान बनने की
अथक प्रतीक्षा करती है ।
मूल ओड़िया भाषा से अनुवाद : राजेन्द्र प्रसाद मिश्र