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"प्यार का शोक-गीत / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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00:20, 26 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

इतने सारे तारे हैं
और आकाश के रंग में घुली है
एक तारे के टूट जाने की उदासी

इतने सारे फूल हैं
और पौधे की जड़ों में बसा है
एक फूल के झड़ जाने का दर्द

जिस तरह
रंग और ख़ुशबू को जुदा करके
हम फूल को नहीं कह सकते फूल
मैं कैसे कह सकूंगा तुम्हारे बिना
इस सड़क को सड़क
नदी को नदी
और पुल को पुल

इस शहर को शहर
अब मैं कैसे कह सकूंगा ।