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"धुँधले सपने / ल्येफ़ क्रपिवनीत्स्की / वरयाम सिंह" के अवतरणों में अंतर
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21:04, 12 मार्च 2025 के समय का अवतरण
(हम सब पहले अधिभौतिक हैं और बाद में भौतिक — खुलिओ कर्तासर)
(दुनिया की अभी कई बार
बिजाई करनी होगी
बीजने होंगे
अस्वीकृत
अंश विस्मृत विचारों के)
समग्र से — बचे हुए अंश ।
क्या उन्हें जीवित किया जा सकता है ?
कि अख़बारों की शर्मनाक सामग्री के
पृष्ठ कुछ और भारी हो सकें,
इतने सारे बक्से
बहुत चेहरों वाले समारोहों के
नियति के प्रति अविश्वास के चलते
क्या हमें छाँटने पड़ेंगे ?
सब कुछ विवेक-संगत है
और ईमानदारी के साथ ।
(अपना धंधा आरम्भ करता दैत्यों की
खोपड़ियों का समूह)
पर फ़ासले का यह वर्गक्षेत्र
दो पंक्तियों के बीच
हमेशा बराबर रहता है
आधी रात में
उत्तेजना की बन्दूक की गम्भीर नली के सामने ।
मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह