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"मैं बूढ़ा होने का आदी होता जा रहा हूँ / नाज़िम हिक़मत / मनोज पटेल" के अवतरणों में अंतर
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09:23, 29 मार्च 2025 के समय का अवतरण
मैं बूढ़ा होने का आदी होता जा रहा हूँ
दुनिया का सबसे मुश्किल हुनर –
आखिरी बार खटखटाना दरवाज़ों को,
अन्तहीन बिछोह ।
समय बीतता जा रहा है, बीतता जा रहा है …
मैं विश्वास खो देने की क़ीमत पर समझना चाहता हूँ ।
मैनें तुमसे कुछ कहना चाहा, और कह न सका ।
दुनिया अल-सुब्ह की सिगरेट-सी लगने लगी है :
मौत ने मेरे पास अपना अकेलापन पहले ही भेज दिया है ।
जलन होती है मुझे ऐसे लोगों से
जिन्हें पता ही नहीं कि वे बूढ़े हो रहे हैं,
इतना डूबे हैं वे अपने काम में ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल