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"रचते हुए / सुकेश साहनी" के अवतरणों में अंतर

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यूँ न देखो
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यों न देखो
 
हवा में उड़ रहे
 
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उस पत्थर को
 
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या फिर
 
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धरती पर रेंगने वाला तुच्छ प्राणी
 
धरती पर रेंगने वाला तुच्छ प्राणी
यूं देखते ही न रहो-
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यों  देखते ही न रहो-
 
बरसो
 
बरसो
बादल की तरह
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बादल की तरह,
 
बहो
 
बहो
नदी की तरह
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नदी की तरह,
 
गिरो
 
गिरो
जल प्रपात की तरह
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जल प्रपात की तरह।
 
उगो
 
उगो
चट्टान पर बीज की तरह
+
चट्टान पर बीज की तरह,
 
खिलो
 
खिलो
फूल की तरह
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फूल की तरह,
 
चीखो
 
चीखो
मुर्दो में जिन्दा आदमी की तरह
+
मुर्दो में जिन्दा आदमी की तरह,
ठहरना अगर पड़े तो
+
ठहरना अगर पड़े,
ठहरो-
+
तो ठहरो-
 
प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी की तरह
 
प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी की तरह
 
बरसो, बहो, गिरो, खिलो, चीखो, ठहरो-
 
बरसो, बहो, गिरो, खिलो, चीखो, ठहरो-
 
लौह-खण्ड-सा पत्थर
 
लौह-खण्ड-सा पत्थर
 
भुरभुराकर फिर आ मिलेगा
 
भुरभुराकर फिर आ मिलेगा
मिट्टी की धारा से।
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जीवन की धारा से।
  
 
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18:43, 29 मार्च 2025 के समय का अवतरण

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

यों न देखो
हवा में उड़ रहे
उस पत्थर को
चाहे समझा करे वह
तुम्हें
अपना शत्रु
या फिर
धरती पर रेंगने वाला तुच्छ प्राणी
यों देखते ही न रहो-
बरसो
बादल की तरह,
बहो
नदी की तरह,
गिरो
जल प्रपात की तरह।
उगो
चट्टान पर बीज की तरह,
खिलो
फूल की तरह,
चीखो
मुर्दो में जिन्दा आदमी की तरह,
ठहरना अगर पड़े,
तो ठहरो-
प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी की तरह
बरसो, बहो, गिरो, खिलो, चीखो, ठहरो-
लौह-खण्ड-सा पत्थर
भुरभुराकर फिर आ मिलेगा
जीवन की धारा से।

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