भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"देह / संतोष श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:32, 30 मार्च 2025 के समय का अवतरण
देह में संचित है
भावनाओं की कमजोरी
विषयों का लोभ
कामनाओं की चाहत
अपार महत्त्वाकांक्षाएँ
देह नहीं समझ पाती
कष्टों से जूझते रहने
और पार पाने की जुगलबंदी
अबूझ पहेली
बन जाती है देह
अपने हिस्से का आसमान
और धरती जीकर
शून्य में समा जाती है देह