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"बस चाँद रोएगा / मदन कश्यप" के अवतरणों में अंतर

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20:25, 8 अप्रैल 2025 का अवतरण

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रचनाकार मदन कश्यप
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

|चित्र=Bas chaand roega - madan kashyap.jpg |नाम=बस चाँद रोएगा |रचनाकार=मदन कश्यप |प्रकाशक=राजकमल प्रकाशन |वर्ष=2025 |भाषा=हिन्दी |विषय=मदन कश्यप की कविता इस लोक को सम्बोधित कविता है। वह इसी छोटे, लेकिन मनुष्य के लिए फिर भी बहुत बड़े लोक को जीना चाहती है। यह देह जो नश्वर है, उसके लिए बहुत कुछ है क्योंकि इसी देह के झरोखे पर बैठकर आँखें उस दुनिया को देखती हैं जिसे अन्तत: हमें जीना है। |शैली=मुक्तछन्द |पृष्ठ=108 |ISBN= |विविध= }}

इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ