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"हमें अधिकार है पतझड़ को प्रेम करने का / महमूद दरवेश / श्रीविलास सिंह" के अवतरणों में अंतर

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19:14, 16 अप्रैल 2025 के समय का अवतरण

और हमें भी है अधिकार
पतझड़ के अन्तिम दिनों को प्रेम करने का
और पूछने का :

क्या जगह है मैदान में एक नए पतझड़ के लिए,
ताकि हम भी पड़े रहें अँगारों की भाँति ?
एक पतझड़ जो रँग देता है अपनी पत्तियों को सोने से ।

यदि हम भी होते अँजीर के वृक्ष की पत्तियाँ,
अथवा एक उपेक्षित मैदान के पौधे
ताकि महसूस कर पाते मौसम का बदलना !

काश हम भी कभी न कहते अलविदा
बुनियादी बातों को
और प्रश्न करते अपने पिताओं से
जब वे भाग गए खंजर की नोक पर ।

कविता और ईश्वर का नाम रहम करें हम पर !

हमें है अधिकार भर देने का गर्माहट से
सुन्दर स्त्रियों की रातों को, और उस बारे में बात करने का
जिसने छोटी कर दी रात कुतुबनुमा तक पहुँचने को
उत्तर की प्रतीक्षा करते दो अजनबियों की ।

यह पतझड़ है ।
हमें है अधिकार सूँघने का पतझड़ की गन्ध को
और रात्रि से स्वप्न माँगने का ।

क्या स्वप्न भी, ख़ुद स्वप्न देखने वालों की भाँति,
दुखी करते हैं ?
पतझड़  ! पतझड़ !
हमें भी है अधिकार मरने का जैसे भी हम चाहें ।
धरती छिपा ले स्वयं को गेहूँ की एक बाली में !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह