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"कोई दिलकश नज़ारा ढूँढता हूँ / अमर पंकज" के अवतरणों में अंतर
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कोई दिलकश नज़ारा ढूँढता हूँ,
भँवर से अब किनारा ढूँढता हूँ।
सनम आँखों का तारा ढूँढता हूँ,
तेरा हर पल सहारा ढूँढता हूँ।
उलझते प्यार के रिश्ते में बंधन,
पुराना फिर तुम्हारा ढूँढता हूँ।
रहे जो साथ जब भी हो अँधेरा,
मैं वह सम्बल सितारा ढूँढता हूँ।
मुहब्बत से जहाँ रोशन करे जो,
ख़ुदा का दूत न्यारा ढूँढता हूँ।
दिखे है रोज़ ख़्वाबों में मुझे जो,
वही अब चाँद प्यारा ढूँढता हूँ।
गिरेंगी बिजलियाँ किस पर ‘अमर’ अब,
कोई उल्फ़त का मारा ढूँढता हूँ।