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"हर तमन्ना दर-ब-दर है क्या करें / मधु 'मधुमन'" के अवतरणों में अंतर

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16:34, 27 अप्रैल 2025 के समय का अवतरण

हर तमन्ना दर-ब-दर है क्या करें
ज़िंदगी ज़ेर-ओ-ज़बर है क्या करें

फ़िक्र में जिसकी घुलें हम रात दिन
वो ही हमसे बेख़बर है क्या करें

काम हैं कितने हमें करने को और
ज़िंदगानी मुख़्तसर है क्या करें

पाँव में हैं आबले राहें कठिन
और मुसलसल ही सफ़र है क्या करें

जानते हैं वह न आएगा मगर
दिल उसी का मुंतज़र है क्या करें

चाँद सूरज हो गए हमसे ख़फ़ा
अब अँधेरा हर पहर है क्या करें

बिजलियाँ गिरनी जहाँ पर तय हुईं
बस वहीं पर अपना घर है क्या करें

आस थी ‘मधुमन ‘ हो शायद कारगर
पर दुआ भी बेअसर है क्या करें