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"गुज़र रहे हैं ज़िन्दगी के साल / निलूफ़र शिख़ली / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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कड़वा-मीठा जीवन यूँ गुज़र जाता
 
कड़वा-मीठा जीवन यूँ गुज़र जाता
झुलसते-खनकते जीवन ठहर जाता
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झुलसता-खनकता जीवन ठहर जाता
  
 
'''अज़रबैजानी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''अज़रबैजानी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''

22:50, 29 अप्रैल 2025 का अवतरण

किसी तरह से बीत रहा यह काल
गुज़र रहे हैं मेरी ज़िन्दगी के साल

दुख-सुख जीवन के सहन करते हम
वे कड़वे हों या मीठे याद रखते हम

धुँधली सॆ स्मृतियाँ मन में रह जातीं
तो यथार्थ, तो स्वप्न बन कह जातीं

देर-सवेर फिर हमें समझ में आता
मंज़िल तक, बस, सही रास्ता पहुँचाता

सिर्फ़ अकेले हम दर्द प्यार का सहते
और किसी तरह हम यूँ ही जीते रहते

कड़वा-मीठा जीवन यूँ गुज़र जाता
झुलसता-खनकता जीवन ठहर जाता

अज़रबैजानी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब इसी कविता का रूसी भाषा में अनुवाद पढ़िए
            Нилуфер Шыхлы
  Так или иначе…

Так или иначе, пролетают годы,
Долго иль не очень терпим все невзгоды.

Горько или сладко… помним то, что было,
Мутно или четко в памяти застыло.

Сильно иль не очень явь на сон похожа.
Поздно или рано понимаем все же.

Мимо или в точку… куда-то попадаем.
Вместе… В одиночку… От любви страдаем.

Просто или сложно. В жизни есть задачи,
Справиться нам нужно, так или иначе.