भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बस तेरा नाम / वीरेन्द्र वत्स" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन्द्र वत्स |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:02, 8 जून 2025 के समय का अवतरण
आँखों की झील से काजल की कोर तक
सावन की शाम से फागुन की भोर तक
बस तेरी याद है, बस तेरा नाम है
गलियों में फूल खिले
खुशबू को पंख लगे
सीने में हूक उठी
सोये अरमान जगे
शबनम की बूँद से लहरों के शोर तक
चाँदी की रेत से अम्बर के छोर तक
बस तेरी याद है, बस तेरा नाम है
जिस दिन से तू मेरे
सपनों में आई है
जीवन के हर पल में
तू ही समाई है
धड़कन के गीत से साँसों की डोर तक
पुरवा की थाप से आँधी के जोर तक
बस तेरी याद है, बस तेरा नाम है