"अख़्मातवा / ओसिप मंदेलश्ताम" के अवतरणों में अंतर
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आवाज़ थी उसकी बेहद उन्मादी | आवाज़ थी उसकी बेहद उन्मादी | ||
− | + | अमंगलसूचक | |
कड़वी थी वह भाँग की तरह | कड़वी थी वह भाँग की तरह | ||
− | जैसे दफ़ना देगी | + | जैसे दफ़ना देगी रुहें सबकी |
क्रोधित थी इतनी फ़ेदरा | क्रोधित थी इतनी फ़ेदरा | ||
खड़ी थी वह कुछ इस तरह | खड़ी थी वह कुछ इस तरह | ||
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शब्दार्थ : | शब्दार्थ : | ||
1. कड़वी थी वह भाँग की तरह =आन्ना अख़्मातवा की एक कविता की पंक्ति — ’पी रहा है वह मेरी रूह, जानती हूँ, कड़वी है वह भाँग की तरह। | 1. कड़वी थी वह भाँग की तरह =आन्ना अख़्मातवा की एक कविता की पंक्ति — ’पी रहा है वह मेरी रूह, जानती हूँ, कड़वी है वह भाँग की तरह। | ||
− | 2. फ़ेदरा= एक यूनानी मिथक के अनुसार क्रीत द्वीप के राजा मिनीसा की पुत्री और तेसेई की पत्नी फ़ेदरा अपने गोद लिए पुत्र से ही प्रेम करने लगी थी और जब उसका प्रेम ठुकरा दिया गया तो उसने आत्महत्या कर | + | |
− | 3. राशेल= | + | 2. फ़ेदरा = एक यूनानी मिथक के अनुसार क्रीत द्वीप के राजा मिनीसा की पुत्री और तेसेई की पत्नी फ़ेदरा अपने गोद लिए पुत्र से ही प्रेम करने लगी थी और जब उसका प्रेम ठुकरा दिया गया तो उसने आत्महत्या कर ली। |
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+ | 3. राशेल = फ़्रासिसी अभिनेत्री एलिज़ा राशेल (1821-1858) ने कभी नाटककार रासिन (1639-1699) की त्रासद नाटिका ’फ़ेदरा’ (1677) में नायिका फ़ेदरा की भूमिका (1838 में) की थी। | ||
रचनाकाल : 1914 | रचनाकाल : 1914 |
16:14, 9 जून 2025 के समय का अवतरण
आधा मुड़कर
हो रंजीदा
लापरवाही से उसने देखा
शाल अचानक गिरते-गिरते
ठहर गई उसके कन्धों पर
आवाज़ थी उसकी बेहद उन्मादी
अमंगलसूचक
कड़वी थी वह भाँग की तरह
जैसे दफ़ना देगी रुहें सबकी
क्रोधित थी इतनी फ़ेदरा
खड़ी थी वह कुछ इस तरह
लिए राशेल की मुद्रा
शब्दार्थ :
1. कड़वी थी वह भाँग की तरह =आन्ना अख़्मातवा की एक कविता की पंक्ति — ’पी रहा है वह मेरी रूह, जानती हूँ, कड़वी है वह भाँग की तरह।
2. फ़ेदरा = एक यूनानी मिथक के अनुसार क्रीत द्वीप के राजा मिनीसा की पुत्री और तेसेई की पत्नी फ़ेदरा अपने गोद लिए पुत्र से ही प्रेम करने लगी थी और जब उसका प्रेम ठुकरा दिया गया तो उसने आत्महत्या कर ली।
3. राशेल = फ़्रासिसी अभिनेत्री एलिज़ा राशेल (1821-1858) ने कभी नाटककार रासिन (1639-1699) की त्रासद नाटिका ’फ़ेदरा’ (1677) में नायिका फ़ेदरा की भूमिका (1838 में) की थी।
रचनाकाल : 1914
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Осип Мандельштам
Ахматова
В пол-оборота, о печаль,
На равнодушных поглядела.
Спадая с плеч, окаменела
Ложноклассическая шаль.
Зловещий голос — горький хмель —
Души расковывает недра:
Так — негодующая Федра —
Стояла некогда Рашель.
1914 г.