"जब एक आदमी ग़ायब होता है / चन्द्र गुरुङ" के अवतरणों में अंतर
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एक सूरज ग़ायब हो जाता है
उस सूरज के लटकने का आकाश ग़ायब हो जाता है
आकाश का बादल ओढ़कर खड़ा पहाड़ ग़ायब हो जाता है
पहाड़ से आकर मिलनेवाला चाँद ग़ायब हो जाता है
गायब हो जाते हैं रात को चाँद न दिखने पर तारे
जब एक आदमी ग़ायब होता है
एक आँगन ग़ायब हो जाता है
उस पर चलकर आते पैर ग़ायब हो जाते हैं
उन पैरों की आहट का इन्तजार करता दरवाज़ा ग़ायब हो जाता है
आँखें टकराती खिड़कियाँ ग़ायब हो जाती हैं
गायब हो जाता है एक घर
गायब हो जाती है परिवार की सुगन्ध
जब एक आदमी ग़ायब होता है
दैनिकी का सुर–ताल ग़ायब हो जाता है
आँसू थामने वाले हाथों के स्पर्श ग़ायब हो जाते हैं
समय का रूप–रंग ग़ायब हो जाता है
पंछियों की मधुर चहचहाहट ग़ायब हो जाती है
गायब हो जाते हैं दिल की दीवारों से ख़ुशियों के चित्र
जब एक आदमी ग़ायब होता है
एक झरना ग़ायब हो जाता है
झरना जिस समुद्र से मिलता था वह ग़ायब हो जाता है
समुद्र से अकेले में बात करती जवान रात ग़ायब हो जाती है
रात के साथ हाथ मिलाकर गया दिन ग़ायब हो जाता है
गायब हो जाता है दिन से चकाचौंध हुआ संसार
जब एक आदमी ग़ायब होता है
गीत की लय ग़ायब हो जाती है
ओस के बिंब से पत्ते पर लिखी कविता ग़ायब हो जाती है
दिल के दर्द को लिखते अक्षर ग़ायब हो जाते हैं
कहानी का एक पात्र ग़ायब हो जाता है
गायब हो जाते हैं धड़कनों को व्यक्त करते शब्द
जब एक आदमी ग़ायब होता है
उसी चेहरे को आँखों में सम्भालकर बैठी
माँ का आशीर्वाद ग़ायब हो जाता है
टूटे घर के मुँडेर में ऊँघते
बूढ़े बाप का भरोसा ग़ायब हो जाता है
एक माँग को बाहों में भरता आलिंगन ग़ायब हो जाता है
गायब हो जाती है गालों में बैठते चुम्बन की तितली
जब एक आदमी ग़ायब होता है
उदासी में जिस किनार पर खड़े होते थे
हाँ, वह नदी ग़ायब हो जाती है
साथ में चढे हुए शिखर ग़ायब हो जाते हैं
रास्ते के छाती पर पदचिह्न ग़ायब हो जाते हैं
मुसीबतों में आश्वस्त करती आवाज़ ग़ायब हो जाती है
गायब हो जाती है पूरी पृथ्वी
जब एक आदमी ग़ायब होता है।