भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"माँ / चन्द्र गुरुङ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्र गुरुङ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:54, 15 जून 2025 के समय का अवतरण
गोदी में
उछलते
खेलते
नाचते
गाते
गया हुआ दरिया
जब बरसात बन कर वापस आता है
मुस्कुराती है धरती फूल की तरह
जिस तरह मैं
दूर देश से घर लौटता हूँ
दमक उठता है
मेरी माँ का चेहरा।