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पुस्तक के प्रथम भाग में ८१ कवयित्रियों का सचित्र परिचय¸ कविताएँ व रचना प्रक्रिया दी गई है, दूसरे भाग में ३३ प्रतिभाशाली महिलाओं का सचित्र परिचय है तथा तृतीय भाग में भारतीय अमरीकी महिलाओं द्वारा अबतक प्रकाशित पुस्तकों की सूची दी गई है। 'प्रवासिनी के बोल' अमेरिका में हिंदी साहित्य का पहला प्रमाणिक दस्तावेज़ है। | पुस्तक के प्रथम भाग में ८१ कवयित्रियों का सचित्र परिचय¸ कविताएँ व रचना प्रक्रिया दी गई है, दूसरे भाग में ३३ प्रतिभाशाली महिलाओं का सचित्र परिचय है तथा तृतीय भाग में भारतीय अमरीकी महिलाओं द्वारा अबतक प्रकाशित पुस्तकों की सूची दी गई है। 'प्रवासिनी के बोल' अमेरिका में हिंदी साहित्य का पहला प्रमाणिक दस्तावेज़ है। | ||
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19:55, 16 जनवरी 2007 का अवतरण
विषय सूची
- 1 डा॰ हरीश नवल का षष्ठिपूर्ति समारोह
- 2 Koreans invade DU Hindi class
- 3 १८वां अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव सम्पन्न
- 4 सिएटल में काव्य गोष्ठी का आयोजन
- 5 इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा साहित्य कृति सम्मान
- 6 नरेश शांडिल्य की किताब का लोकार्पण
- 7 कैलाश गौतम नहीं रहे
- 8 अखिल अमेरिकन कवि सम्मेलन – “आखों देखा हाल”
- 9 'प्रवासिनी के बोल' का विमोचन
- 10 अमरीका मे हिन्दी के बढते कदम
- 11 कैम्ब्रिज के पाठयक्रम से हिन्दी को हटाना ।
- 12 प्रख्यात गीतकार श्री मधुर शास्त्री नहीं रहे
- 13 हरियाणा का सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मेलन
- 14 हिन्दी का एक लघु दीप - ओमान
- 15 अय्यप्प पणिक्कर नहीं रहे
- 16 राजेश चेतन काव्य पुरस्कार
डा॰ हरीश नवल का षष्ठिपूर्ति समारोह
प्रख्यात व्यंग्यकार, समीक्षक एवं हिंदीसेवी विद्वान डा॰ हरीश नवल गत् 08 जनवरी को साठ वर्ष के हो गए। इस अवसर पर उनका षष्ठिपूर्ति समारोह शनिवार 06 जनवरी 07 को त्रिवेणी सभागार, नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कबीर-गायक ‘भारती बन्धु’ के गायन से हुआ। उनके तीन भजनों ने भक्ति और चिन्तन का समां बांध दिया। तत्पश्चात डा॰ हरीश नवल के रचनाकर्म और व्यक्तित्व पर आधारित ग्रन्थ ‘परसाई परम्परा के वाहक’ का लोकार्पण हुआ। ग्रंथ के प्रधान सम्पादक यशस्त्री पत्रकार-कवि डा॰ कन्हैया लाल नंदन है तथा सम्पादन प्रखर कवयित्री डा॰ स्नेह सुधा और युवा प्रतिभा सुश्री आस्था नवल ने किया है। ग्रंथ में देश के जाने माने 60 अद्येयताओं के आलेख हैं । ग्रंथ तथा डा॰ नवल के संदर्भ में सर्वश्री रामदरश मिश्र, देवेन्द्र इस्सर, कन्हैयालाल नन्दन, बालस्वरूप राही, डा॰ स्नेह सुधा और सुश्री आस्था नवल ने अपने उदगार व्यक्त किए।
खचाखच भरे सभागार में कार्यक्रम के अंतिम चरण तक श्रोता भावमुग्ध उपस्थित रहे। इस चरण में नाट्यदल ‘अस्मिता’ के तत्वावधान में विख्यात रंगकर्मी श्री अरविंद गौड़ के निर्देशन में डा॰ नवल की एक व्यंग्य कथा, ‘पीली छत पर काला निशान’ का मंचन किया गया। ‘शब्द-सेतु’, ‘उदभव’ और ‘व्यंग्य-यात्रा’ द्वारा आयोजित इस समारोह का संचालन प्रख्यात व्यंग्यकार डा॰ प्रेम जनमेजय और युवा कवि श्री विवेक गौतम द्वारा किया गया।
उल्लेखनीय है कि इस समारोह मे राजधानी के अनेक वरिष्ठ, युवा एवं नवोदित साहित्यकर्मी भारी संख्या में मौजूद थे।
Koreans invade DU Hindi class
SOUTH KOREANS it seems are the foreigners most eager to pick up Hindi — and they want to do it fast. The majority of students enrolled for the short-term Hindi courses at Delhi University are South Koreans. Reason? Great job prospects in India with Korean majors Samsung, LG and Hyundai. M.J. Park, director, Korea Trade Investment Promotion Agency, says that with 200 Korean companies already here and many more showing interest, India has emerged as the land of oppor tunity. “Earlier, Korea’s attention was on China. But now the scope for growth is greater in India,” says Park.Over 3,000 South Koreans are working and studying in India. Of the 28 foreign students enrolled in the certificate, diploma and advanced courses in Hindi, 14 are from South Korea. DU student Park Soon Ki is a graduate in global marketing and advertising from Busan. He and his friend Huo Jong Cheol, a computer scientist from Seoul, are in India studying, travelling, and job-hunting. “Many Koreans working in India speak good English, but the workers in the factory speak Hindi,” says Ruchika Batra, GM (corporate communication) at Samsung. “We had a programme under which executives from Korea would spend a year in India learning the language and knowing the local culture.” Koreans at LG too are busy learning Hindi. “They make a lot of effort to localise themselves,” says Y.V. Verma, director (human resources), LG. SOUTH KOREANS it seems are the for- eigners most eager to pick up Hindi — and they want to do it fast. The majority of students enrolled for the short-term Hindi courses at Delhi University are South Koreans. Reason? Great job prospects in India with Korean majors Samsung, LG and Hyundai. M.J. Park, director, Korea Trade In- vestment Promotion Agency, says that with 200 Korean companies already here and many more showing interest, India has emerged as the land of oppor- tunity. “Earlier, Korea’s attention was on China. But now the scope for growth is greater in India,” says Park. Over 3,000 South Koreans are work- ing and studying in India. Of the 28 for- eign students enrolled in the certificate, diploma and advanced courses in Hindi, 14 are from South Korea. DU student Park Soon Ki is a gradu- ate in global marketing and advertising from Busan. He and his friend Huo Jong Cheol, a computer scientist from Seoul, are in India studying, travelling, and job-hunting. “Many Koreans working in India speak good English, but the workers in the factory speak Hindi,” says Ruchika Batra, GM (corporate communication) at Samsung. “We had a programme un- der which executives from Korea would spend a year in India learning the lan- guage and knowing the local culture.” Koreans at LG too are busy learning Hindi. “They make a lot of effort to lo- calise themselves,” says Y.V. Verma, di- rector (human resources), LG.
१८वां अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव सम्पन्न
भारत-नार्वे सूचना और सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में २ सितम्बर २००६ को यूथ सेन्टर, ओसलो में १८वां अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव कविता, संगीत, नृत्य, व्याख्यान और पुरस्कार वितरण सहित धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।
संस्कृति, साहित्य, सेतु और कला पुरस्कार
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे नार्वे और आइसलैण्ड में भारतीय राजदूत महेश सचदेव, विशेष अतिथि थे सांसद और वित्त मन्त्रालय के सदस्य हाइकी होलमोस और अध्यक्षता की फोरम के अथ्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल ने। कार्यक्रम का संचालन किया ऊला अनुपम, मंच सज्जाा और ध्वनि आरिल सोरूम, व्यवस्था संचालन संगीता सीमोनसेन शुक्ला और स्वागत माया भारती, धनीराम और सिगरीद मारिये रेफसुम ने किया। भारत-नार्वे सूचना और सांस्कृतिक फोरम ने इस वर्ष चार पुरस्कार वितरित किये। सेतु सम्मान पुरस्कार भारतीय राजदूत महेश सचदेव को, संस्कृति पुरस्कार
नार्वेजीय कवियित्री और कलाकार इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन को, साहित्य पुरस्कार यू के में कवि और कैंब्रिज विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव को और कला पुरस्कार भारत से आये कलाकार (चित्रकार) और कलाविद्यालय के प्रधानाचार्य गोविन्दर सोहल को ससम्मान प्रदान किया गया।
इब्सेन, टैगोर और शेक्सपियर एक मंच पर
नार्वे के विश्व प्रसिद्ध नाटककार हेनरिक इब्सेन, भारत के साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और यू क़े के सर्वमान्य विलियम शेक्सपियर पहली बार एक साथ प्रस्तुत किये गये। हेनरिक इब्सेन के नाटक च्च्गुड़िया का घरच्च् का अंश सुरेशचन्द्र शुक्ल च्च्शरद आलोकच्च् ने पढ़ा, गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता का सत्स्वर पाठ बंगला और अंग्रेजी में किया प्रो असीमदत्त राय ने और शेक्सपियर के नाटकों की इंग्लैण्ड में लोकप्रियता पर प्रकाश डाला डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारतीय संगीत, भांगड़ा नृत्य, नार्वेजीय संगीत व नृत्य, कवितापाठ आदि मुख्य आकर्षण थे जिसमें नार्वेजीय, भारतीय, श्रीलंकाई, लेटिन अमरीकी, वियतनामी, बंगलादेशी और पाकिस्तानी कलाकारों नें भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ अनुराग सैम शाह ने गांधी जी के प्रिय भजन से किया। फोरम अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह अथवा नवम्बर में ओस्लो में च्च्स्कैन्डि -नेविया में हिन्दीच्च्पर एक सेमिनार और कविसम्मेलन आयोजित कर रही है। कार्यक्रम निश्चित होते ही शीघ्र ही तिथि की जानकारी दी जायेगी। ::माया भारती::
सिएटल में काव्य गोष्ठी का आयोजन
३० दिसम्बर २००६, सिएटल, संयुक्त राज्य अमेरिका, नव वर्ष की पूर्व संध्या पर सिएटल में निवास कर रहे कवि अभिनव शुक्ल के घर पर एक हिंदी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप्ति एवं मंजू नें माँ सरस्वती की वंदना से किया। अभिनव शुक्ल के संचालन में गोष्ठी की अध्यक्षता पटना से पधारे कवि श्री स्वर्ण कुमार राजू नें करी। गोष्ठी में अगस्त्य कोहली, राहुल उपाध्याय, संतोष कुमार पाल, शिवम् कुमार, स्वर्ण कुमार राजू तथा अभिनव शुक्ल नें अपनी रचनाओं का पाठ किया। ज्ञातव्य है कि पिछले कई वर्षों से सिएटल हिंदी समिति द्वारा नगर में एक वार्षिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता रहा है, पर मासिक काव्य गोष्ठियाँ नियमित रूप से नहीं होती हैं। गोष्ठी के अंत में इस विषय पर व्यापक चर्चा हुई तथा अगले माह होने वाली गोष्ठी का स्थान तथा समय निश्चित किया गया।
इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा साहित्य कृति सम्मान
इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा साहित्य कृति सम्मान समारोह का आयोजन हिंदी भवन में किया गया। मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री डा॰ सुब्रहाण्यम स्वामी थे। विशिष्ट अतिथि भारत भवन भोपाल के अध्यक्ष दया प्रकाश सिन्हा थे। वरिष्ठ साहित्यकार रामशरण गौड़ (साहित्य भारती सम्मान),साहित्य एवं हिन्दी के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पूर्व महापौर महेश चंद्र शर्मा (हिंदी सेवी सम्मान) जगमोहन सिंह राजपूत (डा॰नगेंद्र सम्मान),परमानंद पांचाल (जैनेन्द्र कुमार सम्मान),रमा सिंह(भवानी प्रसाद मिश्र सम्मान)बलराम मिश्र (नरेंद्र मोहन सम्मान ) अमर गोस्वामी (डा॰रामलाल वर्मा सम्मान),पूरन चंद्र टंडन(विजयेन्द्र स्नातक सम्मान ) जयदेव डबास (कमला रत्नम सम्मान) कीर्ति काले (सत्यपाल चुग सम्मान),हरगुलाल (आचार्य चतुर सेन सम्मान), राजेंद्र त्यागी (यशपाल जैन सम्मान), मनोहरपुरी (गुरुदेव सम्मान),मनोहर लाल रत्नम(प्रशांत वेदालंकार सम्मान) और राजवीर सिंह क्रांतिकारी को (घनानंद सम्मान) दिया गया । समारोह के मुख्य अतिथि पुर्व केंद्रीय मंत्री डा॰ सुब्रह्मण्यम स्वामी थे । उन्होनें समाज रचना में साहित्यकारों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री स्वामी ने कहा कि संकट के इस दौर में साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है । समारोह के विशिष्ट अतिथि भारत भवन, भोपाल के अध्यक्ष डा॰ दया प्रकाश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संस्कृति में धर्म एक सेकुलर अवधारणा है। समारोह को संबोधित करने वालों ने अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुर्यकृष्ण, कैलाश हाँस्पिटल, नोयडा के अध्यक्ष डा॰ महेश शर्मा,साधना चैनल के अध्यक्ष राकेश गुप्ता आदि नाम उल्लेखनीय हैं ।
नरेश शांडिल्य की किताब का लोकार्पण
नरेश शांडिल्य के संग्रह में अनेक मुकम्मल ग़ज़लें हैं। रचना का सबसे बड़ा कार्य यही है कि वह जिस शिद्दत से कही गई है, उससे भी अध्कि शिद्दत से पाठकों तक पहुंचे। ये विचार सुप्रसिद्ध साहित्यकार-आलोचक प्रभाकर श्रोत्रिय ने हिन्दी भवन में २६ नवम्बर, २००६ को अन्तरराष्ट्रीय संस्था 'अक्षरम्' द्वारा आयोजित नरेश शांडिल्य के ग़ज़ल संग्रह 'मैं सदियों की प्यास' के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किये। ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण सुप्रसि( ग़ज़लकार बालस्वरूप राही ने किया। प्रभाकर श्रोत्रिय ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। लोकार्पण के अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नरेश की ग़ज़लों में जीवन के विभिन्न पक्ष उजागर हुए हैं तथा इनमें सादगी के साथ-साथ प्रतिरोध् और व्यंग्य भी है। अन्य वक्ताओं में प्रो. सादिक, डॉ. सीतेश आलोक, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, अम्बर खरबन्दा, अमरनाथ अमर, विज्ञान व्रत, अनिल जोशी और शशिकान्त प्रमुख थे।यू.के. समिति लन्दन के अध्यक्ष तथा प्रवासी टुडे के सम्पादक डॉ. पद्मेश गुप्त भी इस अवसर पर विशेष रूप से पधरे। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गायिका मधुमिता बोस ने संग्रह की कुछ ग़ज़लों का गायन भी किया। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध कवयित्री-कथाकार अल्का सिन्हा ने किया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य साहित्यकार व ग़ज़लकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में अक्षरम् के अध्यक्ष अनिल जोशी ने सभी आगन्तुकों को ध्न्यवाद ज्ञापित किया।
कैलाश गौतम नहीं रहे
हिंदी के लोकप्रिय गीतकार व हिंदुस्तानी अकादमी¸ इलाहाबाद के अध्यक्ष कैलाश गौतम नहीं रहे। शनिवार ९ दिसंबर २००६ को सुबह १० बजे हृदयगति रुक जाने से उनका देहांत हो गया। वे ६२ वर्ष के थे।हिंदी को लोक शब्दावली से संपन्न करने वाले कवियों में उनका नाम सबसे ऊपर आता है। आम आदमी के दैनिक जीवन की कठिनाइयों को मधुर गीतों में सादगी से व्यक्त करने के कारण उन्हें जनकवि भी कहा गया। कवि गौतम को उत्तर प्रदेश सरकार के सारस्वत सम्मान¸ हिंदी संस्थान लखनऊ के राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, निराला सम्मान, ऋतुराज सम्मान, परिवार सम्मान और समुच्चय सम्मान जैसे अनेक सम्मानों से अलंकृत किया गया। सीली माचिस की तीलियां तथा सिर पर आग उनके बहुचर्चित संग्रहों में से हैं।
अखिल अमेरिकन कवि सम्मेलन – “आखों देखा हाल”
रविवार 19 नवंबर को हिन्दी यू.एस.ए. नामक हिन्दी की स्वंयसेवी संस्था द्वारा न्यू जर्सी के रट्गर्स विश्वविद्यालय के डगलस कैम्पस में अपरान्ह 1 बजे कवि सम्मेलन का विधिवत रूप से शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ वॉशिंग्टन डी.सी के भारतीय राजदूतावास का प्रतिनिधित्व कर रहे श्री अनिल कुमार गुप्ता जी के कर कमलों द्वारा दीप-प्रज्जवलन से हुआ। तत्पश्चात बच्चों द्वारा गणेश एवं सरस्वती वंदना की सात्विक संगीतमय प्रस्तुती की गई।सभागार की सज्जा देखने योग्य थी। मंच पर 3 मेजों तथा 9 कुर्सियाँ आमंत्रित कवि गणों के लिए सजी हुईं थीं। सुंदर फूलदान सफेद मेजपोशों पर शोभा पा रहे थे। मंच के दाहिनी ओर प्रथमपूज्य विध्नहर्ता श्री गणपति जी महाराज की प्रतिमा शोभायमान हो रही थी। प्रतिमा के समक्ष दीप्तवान दीपकों की ज्योति मानो सभी श्रोताओं और दर्शकों को अन्धकार से प्रकाश की ओर चलने का आमंत्रण दे रही थी।
मंच के बीचों-बीच पीछे की ओर मध्य में कवि सम्मेलन का बैनर लगा हुआ था। इस बैनर के दोनों ओर भारत का राष्ट्रीय पक्षी स्वागत की मुद्रा में श्रोताओं को आकर्षित कर रहा था।
इस सुन्दर सजावट में सबसे अधिक यदि कोई वस्तु आकर्षित कर रही थी तो वह थी तिरंगे पोस्टरों पर लिखी श्री भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी की प्रसिद्ध हिन्दी कविता की पंक्तियाँ साथ ही अमेरिका में जन्मी भारतीय पीढी को हिन्दी ज्ञान देने का सपना। यही सपना तो हिन्दी यू.एस.ए. का उद्देश्य भी है। श्री देवेन्द्र सिंह जी ने, जो इस संस्था के संस्थापक तथा एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं, ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए बताया कि इस कवि सम्मेलन का उद्देश्य लोगों को हिन्दी भाषा के प्रति जागरुक करना तथा अमेरिका में हिन्दी यू.एस.ए. द्वारा जो हिन्दी का अभियान चलाया जा रह है उससे लोगों को अवगत कराना तथा जोड़ना है। उन्होंने लोगों से हिन्दी का स्वयंसेवक बनने की विनती भी की। इसके बाद उन्होंने सियाटल से पधारे मुख्य कवि श्री अभिनव शुक्ल का संक्षिप्त परिचय दिया तथा कवि सम्मेलन का संचालन उन्हें सौंप दिया।
श्री अभिनव शुक्ल ने सर्वप्रथम सभी अतिथि कवियों को बारी-बारी से मंच पर आमंत्रित कर मंच को पूरी तरह से कवि-सम्मेलन के लिए सजा लिया। आमंत्रित कवि एवं कवियत्रियों के नाम इस प्रकार हैं – श्री भैरू सिंह राजपुरोहित जी, श्रीमती रेखा रस्तोगी जी, श्रीमती शोभा वर्मा जी, श्री पंकज जैन जी, श्रीमती बिन्देश्वरी अग्रवाल जी, श्री हरभगवान शर्मा जी, श्री देवेन्द्र पाल सिंह जी, तथा अभिनव शुक्ल जी। इस प्रकार विभिन्न उम्र, रंगों, भावों, विचारों, पीढ़ियों, और मान्यताओं को अपने अंदर समेटे ये कवि जहाँ भरे हुए सभागार को देखकर गदगद हो रहे थे वहीं एक ओर बेचैनी के साथ अपने कविता पाठ की प्रतीक्षा भी कर रहे थे।
अभिनव जी ने अपने अनुभव का उपयोग करते हुए अपनी अनुभवी हास्य रचनाओ द्वारा श्रोतओं को अभीभूत किया तथा बातों ही बातों में मंच पर श्री राजपुरोहित जी को बुला लिया। राजपुरोहित जी ने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजली देते हुए अपनी दो रचनाएँ सुनायी। सभागार अब तक खचाखच भर गया था और समय से कवि सम्मेलन प्रारंभ होने के कारण श्रोता और कवि दोनों ही प्रसन्न थे। इसके बाद अभिनव जी ने कुछ चटपटी यादें तथा चुटकुले सुनाए तथा एक गंभीर और वरिष्ट कवियित्री श्रीमती रेखा रस्तोगी को मंच पर आमंत्रित किया। रेखा जी ने एक कविता और गज़ल सुनाई। उसके बाद एक युवा कवियित्री श्रीमती शोभा वर्मा जी मंच पर आईं जिन्होने अपनी व्यंग रचनाओं से श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया। इसके बाद एक और युवा कवि जो पहली बार ही मंच पर आए थे, श्री पंकज जैन जी। आपने कविताओं द्वारा श्रोतओं को सन्देश दिया कि अमेरिका को अपनी कर्मभूमि बनाएँ तथा विदेश में रह कर भी अपनी धर्म, संस्कृति, और भाषा के लिए काम करें। इसके बाद हास्य का पिटारा लेकर आए एक हरियाणवी कवि श्री हरभगवान शर्मा जी जिनकी हास्य कवितओं में श्रोता दिल खोलकर हँसे और खूब तालियाँ बजायी।
श्री हरभगवान जी की कविता पाठ के बाद मध्यांतर हुआ जिसमें श्री देवेन्द्र सिंह जी ने हिन्दी यू.एस.ए. के स्व्यंसेवी शिक्षकों, स्वयंसेवकों, तथा अन्य गण्यमान व्यक्तियों का परिचय करवाया।
सबसे पहले उन्होंने ये बताया कि हिन्दी यू.एस.ए. का मुख्य उद्देश्य अमेरिका के स्कूलों के पाठ्यक्रम में हिन्दी को एक एच्छिक भाषा के रूप में स्थान दिलाना है। इसके लिए उन्होंने सभी भारतीयों से सहयोग की विनती की। श्री देवेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें आपके धन की, समय की, सेवा की, विचारों की, तथा आपके साथ की पग-पग पर आवश्यकता है। इसके बाद उन्होंने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ‘श्री डॉ. सुधीर पारिख’ जी का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनसे दो शब्द बोलने का आग्रह किया। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सुधीर भाई पारिख जी को पिछले वर्ष ‘प्रवासी भारतीय सम्मेलन’ में ‘सर्वश्रेष्ठ प्रवासी भारतीय’ के सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री पारिख जी ने हिन्दी यू.एस.ए के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा भविष्य में हर प्रकार की सहायता देने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने हिन्दी यू.एस.ए. के सामने ‘हिन्दी चेयर’ (न्यू जर्सी) बनाने का भी प्रस्ताव रखा।
श्री देवेन्द्र सिंह ने उत्तरीय पहना कर तथा श्री अनिल कुमार गुप्ता जी ने सम्मान पत्र देकर श्री पारिख जी का सम्मान किया। उसके बाद, श्री पारिख ने हिन्दी यू.एस.ए. के लगभग 20 शिक्षकों को उनकी अनवरत सेवा के लिए प्रमाण पत्र तथा उपहार प्रदान किए। यह ज्ञात हो कि हिन्दी यू.एस.ए लगभग 25 पाठशालाएँ पूरे अमेरिका में चला रहा है। इसके बाद, श्री अनिल कुमर गुप्ता जी जो वॉशिंग्टन डी.सी. के भारतीय राजदूतवास से इस कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए विशेष रूप से पधारे थे तथा जो कम्यूनिटी अफेयर मिनिस्टर के पद पर कार्यरत हैं को मंच पर आमंत्रित किया गया तथा श्री नवीन गुप्ता जी जो न्यू जर्सी के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं के द्वारा सम्मान पत्र प्रेक्षित किया गया। श्री गुप्ता जी ने अपने सम्बोधन में हिन्दी के कार्यक्रमों तथा शिक्षा हेतु हर सम्भव सहायता देने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने कवि सम्मेलन की भी सराहना की और भविष्य में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने की बात कही। अंत में उन्होंने हिन्दी यू.एस.ए. के सभी स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र तथा उपहार भेंट किए। वे हिन्दी यू.एस.ए. की एकसार वेशभूषा से विशेष प्रभावित दिखे। उन्होंने कुछ ऐसे विश्वविद्यालय और विद्यालय के छात्र- छात्राओं को भी मंच पर सम्मानित किया जिन्होंने अमेरिका में जन्म लेने के बाद भी अपने हिन्दी प्रेम को बनाए रखा तथा पंचम हिन्दी महोत्सव में अपना समय व सेवाएँ हिन्दी यू.एस.ए. को दीं। इसमे 13 साल से 18 साल के बच्चे शामिल थे। इसके बाद ‘चौपाटी’ के मालिक श्री चन्द्रकान्त पटेल को प्रथम हिन्दी नाम पट्टिका लगाने के लिए सम्मानित किया गया। हिन्दी यू.एस.ए. का प्रयास है कि ‘चाइना टाउन’ की तरह ‘इंडिया बाजार’ भी अपनी स्वयं की भाषा से सजे। इस प्रयास का यह पहला कदम है जो श्री पटेल ने उठाया है; वे निश्चय ही सम्मान के पात्र हैं। आशा है अन्य व्यापारीगण भी उनका अनुसरण करेंगे।
मध्यांतर के उपरांत अभिनव शुक्ल जी ने सहज ही अपनी तथा अन्य कवियों की कविताओं से तथा चुटकुलों द्वारा पुनः कवि सम्मेलन का वातावरण बना दिया और हिन्दी व्याख्याता तथा वरिष्ट कवियत्री श्रीमती बिंदेश्वरी अग्रवाल को मंच पर कविता-पाठ के लिए आमंत्रित किया। अपनी हास्य व्यंग की कविताओं से बिन्दु जी ने न केवल जन मानस को गुदगुदाया बल्कि उन्हें स्वदेश की याद से भिगो भी दिया।
उसके बाद कार्यक्रम के आयोजक तथा हिन्दी सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य मानने वाले श्री देवेन्द्र सिंह जी मंच पर आए जिनका कविताएँ लिखने का उद्देश्य सोए हुए समाज को जगाना तथा लोगों को कर्मठ बनाकर अपना जीवन सफल बनाने के साथ-साथ माँ भारती की सेवा करना सिखाना है। काव्य-पाठ प्रारंभ करने के पहले ही उन्होंने घोषणा की कि उनकी कविता सुनकर यदि आज 500 लोगों मे. से यदि 10 स्वयंसेवी भी हिन्दी की सेवा के लिए आगे नहीं आते हैं, तो उनका कविता सुनाना व्यर्थ है। उनकी दोनों कविताओं में जनता ने तालियों के साथ सुर में सुर मिलाया। बहुत सारे श्रोता उनकी ‘हिन्दू जागो, हिन्दी सीखो, हिन्दुस्तान बचाना है’ पंक्ति साथ-साथ तथा बाद में गुनगुनाते नज़र आए। अंत में, मंच संभाला श्री शुक्ल जी ने जो हास्य और व्यंग के अतिरिक्त अन्य कई रसों में अपनी कविताएँ करते हैं। एक ओर तो भारतीय संस्कृति का अंग बनती जा रही एक बिन-सिर-पैर की परम्परा ‘वेलेंटाइन डे’ पर उनकी हास्य रचना तथा दूसरी ओर आतंकवाद के अंत की विनती, राम बनने का आव्हन उनके वीर रस तथा देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित करते हैं। लखनऊ का वर्णन समेटे उनकी यादों की गठरी जब खुली तो पहुँच तो लोग मंत्र-मुघ्ध हों, बिना वायुयान, ही लखनऊ पहुँच गए और रबड़ी, कचौड़ी का स्वाद लेकर तभी लौटे जब कविता समाप्त हुई। इस प्रकार दोपहर एक बजे प्रारम्भ हुआ यह कार्यक्रम संध्या ठीक 5 बजे समाप्त हुआ। श्री महावीर भाई चूड़ास्मा जो हिन्दी महोत्सव के ग्रांड-स्पॉंन्सर भी हैं ने सभी कवियों को माँ शारदा की प्रतिमा हिन्दी सेवा के लिए धन्यवाद के साथ, प्रतीकात्मक रूप में भेंट की। सभी श्रोताओं ने कार्यक्रम के बाद कवियों से भेट कर, अपनी भावनाएँ व्यक्त की। सन्दीप अग्रवाल जी ने अंत में सभी श्रोताओं को धन्यवाद दिया एवं हिंदी यू.एस.ए. से जुड़ने का आव्हान किया।
कुछ श्रोताओं ने हिन्दी की पुस्तकें, कवियों के सी.डी. व डी.वी.डी. भी खरीदे। पुस्त्कों के साथ-साथ भारतीय-कला तथा संस्कृति को दर्शाती हुई चित्रकला तथा पेंटिंग की प्रदर्शनी को भी दर्शकों ने सराहा। श्रोताओं ने खुले ह्रदय से अनुदान् दिया तथा भविष्य में हिन्दी यू.एस.ए. के कार्यक्रमों में शामिल होने की इच्छा भी जाहिर की। यदि आप भी हिन्दी यू.एस.ए. के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमारी website http://www.hindiusa.orgदेख सकते हैं या 856-582-5035 पर फोन कर सकते हैं।
'प्रवासिनी के बोल' का विमोचन
डा अंजना संधीर द्वारा संपादित अमेरिका की प्रवासी कवयित्रियों की कविताओं का पहला संकलन 'प्रवासिनी के बोल' का विमोचन शनिवार ९ दिसंबर को दोपहर ३ बजे 'क्वीन्स लाइब्रेरी' में होना निश्चित हुआ है। इस अवसर पर काव्यपाठ का आयोजन भी रखा गया है। डा संधीर व संकलन में प्रकाशित अधिकतर कवयित्रियां इस अवसर पर क्वींस लाइब्रेरी में उपस्थित रहेंगी। इस आयोजन में प्रवेश निःशुल्क है।
पुस्तक के प्रथम भाग में ८१ कवयित्रियों का सचित्र परिचय¸ कविताएँ व रचना प्रक्रिया दी गई है, दूसरे भाग में ३३ प्रतिभाशाली महिलाओं का सचित्र परिचय है तथा तृतीय भाग में भारतीय अमरीकी महिलाओं द्वारा अबतक प्रकाशित पुस्तकों की सूची दी गई है। 'प्रवासिनी के बोल' अमेरिका में हिंदी साहित्य का पहला प्रमाणिक दस्तावेज़ है।
अमरीका मे हिन्दी के बढते कदम
आज विश्व शक्ति का नाम ही अमरीका है । संयुक्त राष्ट्र संघ का कार्यालय भी अमरीका में है, भले ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने हिन्दी को अभी तक स्वीकार नहीं किया है परंतु विश्व शक्ति के आंगन में हिन्दी का छोटा पौधा फल-फूल रहा है । सबसे पहले स्वतंत्रता प्रतीक लिबर्टी प्रतिमा को प्रणाम करता हूँ जिसने यहाँ सभी धर्मो,जातियों और भाषाओं को विकसित होने का समान अवसर प्रदान किया है ।
अमरीका यात्रा के प्रथम पडाव में न्यू जर्सी के प्लेंसबोरो विद्यालय के हिन्दी प्रेमियों से खचाखच भरे सभागार को देखकर मुझे लगा कि वह दिन दूर नहीं जब अमरीका के विद्यालयों में हिन्दी एक भाषा के रूप में पढाई जाएगी । आज हिन्दी-यू.एस.ए. संस्था द्वारा अमरीका में बीस से अधिक हिन्दी विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है । इन विद्यालयों में साप्ताहिक छुट्टियों में बालक अपने अभिभावकों के साथ घंटों का सफर तय करके हिन्दी सीखने आते हैं । वर्ष के अंत में यह सभी बालक हिन्दी महोत्सव के रुप में आकर अपनी हिन्दी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं, इस बार यह पंचम हिन्दी महोत्सव का आयोजन हिन्दी यू.एस.ए. ने किया था । प्रातः से ही छोटे-छोटे बालक अपने माता-पिता के साथ सभागार में जुटने लगे थे, लगभग एक हजार क्षमता का हाल कुछ ही देर में खचाखच भर गया और फिर प्राथर्ना के साथ पंचम हिन्दी महोत्सव आरम्भ हुआ। गिनती बोलें , वेष प्रतियोगिता , नाटक व कविता पाठ प्रतियोगिता, नृत्य, भाषण और भारत -दर्शन आदि दिन भर अनेक कार्यक्रम बालकों ने सफलतापूर्वक प्रस्तुत किए । लग रहा था कि सभागार में समस्त भारत उतर आया हो, प्राची और पार्थ ने कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया ।
धीरे-धीरे दिन ढलता गया और अब मंच पर भारत से आये कवि-कलाकारों को आमंत्रित किया गया । हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव और विश्व प्रसिद्ध चित्रकार कवि बाबा सत्यनारायाण मौर्या के स्वागत में जन समूह उमड रहा था । राजू श्रीवास्तव की प्रस्तुति पर सभागार लगातार ठहाकों और तालियों से गूँज रहा था। राजू के अभिनय में बडी सहजता है, अमिताभ बच्चन को अपना आदर्श मानने वाले राजू जनता के दिलों पर अपनी अदाकारी के अमिट हस्ताक्षर करने में सफल रहे । बाबा सत्यनारायाण मौर्य हिन्दी यू.एस.ए.के एक सक्रिय कार्यकर्ता के रुप में वर्षों से जुडे हैं । अत: वे हिन्दी यू.एस.ए के स्वयंसेवकों में बहुत लोकप्रिय है । .राजू श्रीवास्तव और मेरे लम्बे काव्य पाठ के बाद रात्रि के लगभग साढे ग्यारह बजे का समय हो गया था लेकिन जनता अभी भी पूरे उत्साह से जमी हुई थी और फिर शुरू हुआ बाबा का लोकप्रिय कार्यक्रम भारत माता की आरती, कानवास पर बाबा के हाथ थिरक रहे थे, संगीत का आभाव था, मैं किसी तरह राजू के साथ मिलकर टूटे-फूटे स्वर में बाबा का सहयोग कर रहा था और देखते ही देखते सभागार में भारत मां की जय के नारे गूँजने लगे । हिन्दी को अमरीका में स्थापित करने के संक्लप के साथ पंचम् हिन्दी महोत्सव संपन्न हुआ । हिन्दी यू.एस.ए के संयोजक श्री देवेंद्र सिंह व उनकी धर्म पत्नी श्रीमती रचिता सिंह साधुवाद के पात्र हैं जिनके नेतृत्व में अनेक स्वयंसेवक जैसे श्रीमती और श्री संदीप अग्रवाल , श्री राज मित्तल , श्रीमती और श्री शैलेंद्र सिहं , श्री ब्रजेश सिहं , श्रीमती और श्री सचिन गर्ग , श्री दिग्विजय म्यूर , श्री त्रृषि गोर, श्रीमती और श्री दुर्गेश गुप्ता हिन्दी सेवा में जुटे हैं ।
यहाँ ओलंपिक सिटी अटलांटा का उल्लेख करना भी मैं जरूरी समझता हूँ , चालीस लाख की आबादी का यह शहर मौसम में दिल्ली जैसा है । यहाँ बडी संख्या में कंप्यूटर इंजिनीयर हैं । श्री शिव अग्रवाल जी द्वारा निर्मित इंडियन ग्लोबल माँल अटलांटा में एक छोटे भारत के रूप में है । सेवा इंटरनेशनल ने यहाँ के सभागार में हास्य के फव्वारे नाम से एक हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया । लखनऊ के एक युवा कवि श्री अभिनव शुक्ला जो कि आजकल अमरीका में ही हैं, उनके काव्य पाठ से कवि सम्मेलन आरंभ हुआ । अभिनव के चुटीले व्यंग्य बाण और आरक्षण पर प्रहार करती कविता ने जनता को प्रभावित किया । कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुझे भी कुछ कविता प्रस्तुत करने का अवसर मिला और फिर आरंभ हुआ बाबा मौर्य द्वारा भारत माँ की आरती का कार्यक्रम । अटलांटा के कार्यकर्ताओं ने संगीत का प्रबंध कर लिया था, अतः बाबा मौर्य के गीतों व संगीत की धुनों के साथ पूरा सभागार भारत माँ की भक्ति में नाचने लगा । इस समारोह को सफल बनाने में श्रीमती और श्री गौरव सिहं एवम् श्रीमती और श्री श्रीकांत जी साधुवाद के पात्र हैं ।
हिन्दी के इस पताका को फहराने में अंतराष्ट्रीय हिन्दी समिति का भी बडा योगदान है । व्यक्तिगत बातचीत में श्री हिमांशु पाठक ने मुझे बताया कि अमरीका के पुस्तकालयों में आजकल हिब्रू , चीनी के साथ-साथ हिन्दी साहित्य पर भी परिचर्चा आयोजित की जा रही है । अब यह अवसर आया है कि भारत सरकार हिन्दी के इन समर्पित कार्यकर्ताओं को साथ लेकर विश्व हिन्दी सम्मेलन अमरीका में आयोजित करने पर विचार करे। अगर अगला विश्व हिन्दी सम्मेलन अमरीका में किया गया तो हिन्दी के इन छोटे-छोटे प्रकलपों को ऊर्जा मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वार पर हिन्दी की एक सश्कत आवाज भी पहुँच सकेगी ।
अमरीका के हिन्दी सेवियों को शत-शत प्रणाम ।
कैम्ब्रिज के पाठयक्रम से हिन्दी को हटाना ।
23 अक्टूबर सोमवार , नई दिल्ली
अक्षरम द्वारा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के पाठयक्रम से हिन्दी हटाये जाने के संदर्भ में “ विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी का भविष्य ” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन में किया गया जिसकी अध्यक्षता श्री हिमांशु जोशी ने की । डा॰ श्री एल एम सिंघवी और डा॰ सत्येन्द्र श्रीवास्तव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे । डा अशोक चक्रधर, श्रीमती मधु गोस्वामी, डा रमेश गौतम, डा एम पी शर्मा, डा दिविक रमेश, डा प्रेम जनमेजय, डा हरीश नवल, डा विमलेश कांति वर्मा, श्री अनिल जनविजय, श्री विजय कुमार मल्होत्रा और डा राजेश कुमार गोष्ठी के प्रतिभागी थे । डायमंड पाकेट बुक्स वाले श्री नरेन्द्र वर्मा स्वागताध्य्क्ष थे । कार्यक्रम का संचालन श्री अनिल जोशी व श्री राजेश चेतन ने किया ।
प्रख्यात गीतकार श्री मधुर शास्त्री नहीं रहे
हिन्दी के प्रख्यात गीतकार श्री मधुर शास्त्री जी का निधन दिनांक 4 अक्टूबर को अचानक हो गया। ७४ वर्षीय श्री शास्त्री हिन्दी मंच के बहुत ही लोकप्रिय गीतकार रहे । अपने जीवन में शास्त्री जी ने ८ काव्य संग्रह हिन्दी साहित्य को दिये । उनके दुखद निधन से हिन्दी साहित्य ने एक महान गीतकार खोया है । शास्त्री जी के चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि।
हरियाणा का सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मेलन
कैथल,हरियाणा (24 सितंबर,2006) महाराजा अग्रसेन का दिव्य दरबार, भव्य, दिव्य मंच, मंच के एक ओर आगन्तुक अतिथि जिनमें दिल्ली सरकार के लोकप्रिय मंत्री श्री मंगत राम सिंघल व दूसरी ओर सरस्वती पुत्र कविगण, सामने हजारों की जो भीड जो मन्त्र मुग्ध होकर कविता सुनने आई है ।
हर वर्ष की भाँति एक यादगार काव्य अनुष्ठान आरम्भ हुआ । डा सुनील जोगी, डा मंजु दीक्षित, श्री गजेंद्र सोलंकी, श्री सुनील साहिल, श्री जगबीर राठी व देवेश तिवारी के काव्य पाठ पर जन समुदाय झूम रहा था । दिल्ली के युवा कवि राजेश चेतन कुशलता पूर्वक मंच संचालन कर रहे थे । इस समारोह को सफ़ल बनाने में श्री प्रवीण चौधरी, श्री राजेन्द्र गुप्ता व श्री श्याम सुंदर बंसल का सहयोग रहा ।
हिन्दी का एक लघु दीप - ओमान
मस्कट ( 8 अक्टूबर ), मस्कट ओमान की राजधानी, सुंदर, सुसज्जित, एक ओर समन्दर,दूसरी ओर पहाड़, शापिंग माल, होटल्स, 25 लाख की आबादी के ओमान देश की एक चौथाई जनसंख्या यहां निवास करती है । अगर आपको अंग्रेजी नही आती, ना ही अरबी आती तो घबराना नहीं ओमान मे हिन्दी से भी आपका काम बखूबी चलेगा । दिल्ली से अहमदाबाद होते जैसे ही मस्कट पहुँचे इंडियन सोशल क्लब के श्री सी एम सरदार, श्री गजेश धारीवाल , श्री वीर सिंह और श्री एन डी भाटिया ने सपरिवार पुष्पगुच्छों से कवियों का गर्मजोशी से अभिनन्दन किया, ओमानी नागरिक विस्मय से इस समारोह को देख रहे थे । इस लघु समारोह के बाद हास्य आचार्य श्री ओम प्रकाश आदित्य के नेतृत्व में युवा कवियों के दल ने अलग अलग गाडियों में शहर के प्रतिष्ठित होटल रामी की ओर प्रस्थान किया ।
लूलू शापिंग माल में काउंटर संभाले ओमानी लडकियों की सक्रियता देख कर अच्छा लगा, सब तरफ भारतीय परिवेश, भारतीय लोग और हिन्दी, मानो ओमान में नहीं दिल्ली में ही घूम रहें हों । इंडियन स्कूल, मस्कट के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष श्री द्विवेदी ने बताया कि उनके विद्यालय में बालको में हिन्दी पढने का काफी उत्साह है लेकिन अभिभावक जन की हिन्दी उपेक्षा से वे परेशान दिखाई पडे ।
ओमान के सुल्तान के निजी होटल अलबूस्तान का बडा हाल जिसकी क्षमता लगभग 1500 है समय से पूर्व ही खचाखच भर गया था कार्यक्रम के संयोजक सरदार साहब ने बडे चुटीले अंदाज में कवि सम्मेलन के स्वागत सत्र का संचालन करते हुये बताया कवि सम्मेलन को ले कर लोगों में सर्वाधिक उत्साह है, श्रोताओं में केवल भारतीय ही नहीं अपितु ओमानी, पाकिस्तानी व बंगलादेशी भी होते है और फिर शुरु हुआ डा सुनील जोगी के सधे हुये संचालन में कवि सम्मेलन, एक ओर जहॉ लखनऊ के सर्वेश अस्थाना ने अपने सांसद व पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी पर तीखे व्यंग्य बाण छोडे दूसरी ओर राजस्थान के संजय झाला ने सोनिया जी को निशाना बनाया, राजेश चेतन की कविता अमरीका के व्हाईट हाऊस पे तिरंगा को भी लोगों ने पसन्द किया, प्रवीण शुक्ल की भूकम्प त्रासदी कविता के साथ ही हंसी ठहाकों के बीच पहले दौर का कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ।
ठहाकों के बीच दूसरा दौर महेन्द्र अजनबी ने आरम्भ किया, जहां उन्होनें भूत वाली कविता के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं पर तीखा प्रहार किया, वही शायर तह्सीन मुनवर ने शहनाई सम्राट बिसमिल्लाह को याद किया । सुनील जोगी की पत्नी सौन्दर्य कविता पर लोग झूम रहे थे और समापन में आदित्य जी की माडर्न शादी कविता का भी लोगों ने भरपूर आनन्द लिया ।
इंडियन सोशल क्लब, इंडियन स्कूल, भारत के कवि, भारत सरकार और भारत के हिन्दी संगठन यदि मिलकर कार्य करें इस छोटे से देश में हिन्दी का बडा काम हो सकता है । ओमान के हिन्दी प्रेमियों को साधुवाद।
-राजेश चेतन 9811048542
अय्यप्प पणिक्कर नहीं रहे
मलयालम के सुप्रसिद्ध कवि, समीक्षक और दार्शनिक डा अय्यप्प पणिक्कर का २३ अगस्त 2006 को त्रिवेंद्रम में निधन हो गया। वे मलयालम कविता में आधुनिक चेतना के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी उपस्थिति और रचनात्मक प्रतिभा से केवल साहित्य ही नहीं बल्कि केरल के समस्त बुद्धिजीवी समाज को प्रभावित किया।
१२ सितंबर १९३० को कावालम के एक गाँव में जन्मे इस महाकवि की कविताएं 'अय्यप्प पणिक्करुडे कृतिकल' शीर्षक से चार भागों में तथा निबंध 'अय्यप्प पणिक्करुडे लेखनङ्ल्' शीर्षक से पांच भागों में संग्रहित हैं।
उन्होंने अमेरिका के इंडियाना विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद येल व हार्वर्ड विश्वविद्यालयों में उच्चतर शोध कार्य किया। १९६५ में वे केरल विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक नियुक्त हुए तथा विभागाध्यक्ष बन कर सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अनेक ग्रंथों का कुशल संपादन किया, जिनमें शेक्सपियर के संपूर्ण साहित्य का मलयालम अनुवाद और समस्त मध्ययुगीन भारतीय साहित्य का अंग्रेज़ी अनुवाद अत्यंत महत्वपूर्ण समझे जाते हैं। वे अपने जीवनकाल में अनेक साहित्यिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी भी रहे।
इन विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें देश विदेश के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें एक से अधिक साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार का पद्मश्री [२००४], तथा सरस्वती सम्मान [2006] प्रमुख हैं।
राजेश चेतन काव्य पुरस्कार
सांस्कृतिक मंच, भिवानी द्वारा युवा गीतकार डा. रमाकान्त शर्मा को ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’भिवानी ८ अगस्त २००६, सांस्कृतिक मंच, भिवानी द्वारा भिवानी में जन्मे अंतर्राष्ट्रीय कवि श्री राजेश चेतन के जन्मदिन पर उनके नाम से एक पुरस्कार आरंभ किया गया। नेकीराम शर्मा सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में श्री महेन्द्र कुमार, उपायुक्त्त भिवानी मुख्य अतिथि के रुप मे उपस्थित थे व बी टी एम के महाप्रबंधक श्री राजेन्द्र कौशिक ने समारोह की अध्यक्षता की, साहित्य अकादमी हरियाणा के निर्देशक श्री राधेश्याम शर्मा के सान्निध्य व श्री राजेश चेतन की उपस्थिति में युवा गीतकार डा. रमाकान्त शर्मा को ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’ अर्पित किया गया।
पुरस्कार वितरण के बाद एक कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया जिसमें पूज्यसंत मुनि जयकुमार, श्री महेन्द्र शर्मा, श्री गजेन्द्र सोलंकी, डा. रश्मि बजाज, श्रीमती अनीता नाथ तथा अरुण मित्तल ‘अद्भुत’ ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन का संचालन प्रख्यात कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के महामंत्री श्री जगतनारायण ने किया।
समारोह में सर्वश्री बुद्धदेव आर्य, गिरधर, डा आर डी शर्मा, भारत भूषण जैन, सुरेंद्र जैन, सज्जन एडवोकेट की विशिष्ट उपस्तिथि नें समारोह को गरिमा प्रदान की।