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"दग़िस्तानी लोरी - 6 / रसूल हमज़ातफ़ / मदनलाल मधु" के अवतरणों में अंतर

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21:13, 7 जुलाई 2025 के समय का अवतरण

मार गिराए डण्डे से जो चीते को
बेटी उसको दे दूँगी,
घूँसे से चट्टान तोड़ दे जो पत्थर
बेटी उसको दे दूँगी,
कोड़े से जो दुर्ग जीत ले, साहस से,
बेटी उसको दे दूँगी,
जो पनीर की तरह काट दे चन्दा को
बेटी उसको दे दूँगी,
जो रोके नदिया की बहती धारा को
बेटी उसको दे दूँगी,
किसी फूल की तरह सितारा जो तोड़े
बेटी उसको दे दूँगी,
पंख पवन के आसानी से जो बाँधे,
बेटी उसको दे दूँगी,
सेब सरीखे लाल-लाल गालों वाली
प्यारी बिटिया तू मेरी !

रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु