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"दग़िस्तानी ख़ातून और शाइर बेटा / रसूल हमज़ातफ़ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर

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21:45, 7 जुलाई 2025 के समय का अवतरण

उसने जब
बोलना न सीखा था
उसकी हर बात मैं समझती थी ।

अब वो शाइर बना है
माने-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस
कोई बात उसकी
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़