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"ईश्वर का आत्मालाप / रैनेर मरिया रिल्के / सुमन माला ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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17:24, 12 जुलाई 2025 का अवतरण

मैं हूँ !
ओ इच्छुक मित्र मेरे !
आभास नहीं क्या कर सकते ?
केवल एक स्पर्श तेरा
पाकर तेरा ही बन जाऊँ
बस, एक छुअन मुझको देकर
देखो तासीर मेरी, मैं हूँ
यूँ देख मुझे, एहसास भी कर
ख़ामोशी के परदों में हूँ ...
पंखों की छाया जैसे
मैं इतने निकट तुम्हारे हूँ
तुमको पाकर, तुमसे बनकर
मैं खड़ा समक्ष तुम्हारे हूँ ...
अन्वेषण की उत्कण्ठा ले
चिरकाल से बैठे तुम
ज्यों फल पकते शाखाओं पर
वैसे ही पुष्ट हुए हो तुम ...
जो सपना देख रहे हो तुम
वह स्वप्न तुम्हारा मैं ही हूँ
और निद्रा-भंग की वेला में
जगने का भाव भी मैं ही हूँ ...
चित्र सभी सुन्दरता के
जब भी देखें ये नयन तेरे
मैं उसी भाव की ऊर्जा से
देदीप्यमान हो जाता हूँ ...
तारों की चुप्पी साथ लिए
शहरों की परतें खोल रहा
काल ले हाथों निर्मित सारी
गाँठें हूँ मैं खोल रहा ।

(बुक ऑफ़ अवर्स से)

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुमन माला ठाकुर

लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
            Rainer Maria Rilke
                 

Translated from the German by Stephen Mitchell

लीजिए, अब यही कविता मूल जर्मन भाषा में पढ़िए
               Rainer Maria Rilke