भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रतीक्षा का अंतिम अक्षर / अनीता सैनी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता सैनी }} {{KKCatKavita}} <poem> </poem>' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<poem>
 
<poem>
  
 +
…और एक दिन
 +
उसके जाने के बाद
 +
उसकी लिखी वसीयत खँगाली गई।
 +
कमाई —
 +
धैर्य और प्रतीक्षा।
 +
लॉकर नहीं कोई,
 +
दीवारों ने मुँहज़बानी सुनाई।
  
 +
समय गवाह था —
 +
न कोई कोर्ट-कचहरी,
 +
न कोई दावा करने वाला।
 +
विडंबना की गहरी घड़ी थी वह...
 +
कि
 +
उस एक दिन,
 +
वे पाँव से कुचली
 +
 +
-0-
 
</poem>
 
</poem>

12:57, 20 जुलाई 2025 के समय का अवतरण


…और एक दिन
उसके जाने के बाद
उसकी लिखी वसीयत खँगाली गई।
कमाई —
धैर्य और प्रतीक्षा।
लॉकर नहीं कोई,
दीवारों ने मुँहज़बानी सुनाई।

समय गवाह था —
न कोई कोर्ट-कचहरी,
न कोई दावा करने वाला।
विडंबना की गहरी घड़ी थी वह...
कि
उस एक दिन,
वे पाँव से कुचली

-0-