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+ | आपकी केंचुए की चाल से रेंगती योजनाएँ। | ||
+ | आप तो बस इतना निभाएँ | ||
+ | कि झूठा ही सही | ||
+ | जनता से प्यार निभाते रहें, | ||
+ | गाहे-बगाहे ही सही | ||
+ | हमारे शहर में आते रहें! | ||
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01:24, 27 जुलाई 2025 के समय का अवतरण
माननीय
आपके आने से
अचानक
कहाँ ग़ायब हो जाता है
शहर का कचरा?
रास्ते नज़र आने लगते हैं
साफ़-सफ़्फ़ाफ़।
माननीय
आपके आने से
भर जाते हैं
अचानक वे गड्ढे भी
जिन्होंने कमजोर कर दी है
इस शहर के साथ-साथ
सैकड़ों - हज़ारों की रीढ़।
माननीय
आपके आने से
अक्सर नखरे दिखाने वाली
बिजली भी
दिखाई देती है
पूरी लय में।
माननीय
हमें नहीं चाहिए
आपके अरबों-खरबों वाले आश्वासन,
आपकी केंचुए की चाल से रेंगती योजनाएँ।
आप तो बस इतना निभाएँ
कि झूठा ही सही
जनता से प्यार निभाते रहें,
गाहे-बगाहे ही सही
हमारे शहर में आते रहें!