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"इतनी दिलचस्प क्यों / चन्द्र त्रिखा" के अवतरणों में अंतर

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22:50, 18 अगस्त 2025 के समय का अवतरण

इतनी दिलचस्प क्यों हयात मिली
दर्द की सारी क़ायनात मिली

सब के कंधों पर अपनी लाशें थीं
आज सूरज के घर में रात मिली

चाल जो भी चले गज़ब की चले
फिर भी अपने खिलाफ मात मिली

शहर सारा ही गुमशुदा-सा दिखे
खुद-फरेबी से कब निज़ात मिली

क्या बताएँ कि हमको क्या न मिला
आप की एक-एक बात मिली